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मैसूरके निकट अज्ञातोंद्वारा नंदीकी मूर्तिकी तोडफोड

पौष शुक्ल १४, कलियुग वर्ष ५११४

हिंदुओ, मस्जिद एवं चर्चमें तोडफोड होनेका समाचार आपने कभी पढा है क्या ?


मैसूर (आंध्रप्रदेश), २५ जनवरी – मैसूरसे कुछ दूरीपर ‘मैसूरचामुंडी हिल’ मार्गपर स्थित अखंड पत्थरसे बनाई गई नंदीकी मूर्तिकी कुछ असामाजिक तत्त्वोंने २३ जनवरी रात्रि तोडफोड की । ( हिंदूबहुसंख्यक भारतमें हिंदुओंके श्रद्धास्थान दिन प्रतिदिन सुरक्षित हो गए हैं । कांग्रेसके शासनकालके समान अब भाजपाके राज्यमें भी वही स्थिति है । दोनों ही पक्ष, हिंदुओं एवं उनके श्रद्धास्थानोंकी रक्षा नहीं कर सकते । इसलिए हिंदुओंको राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी राजनेताओंका हिंदू राष्ट्र स्थापित करना चाहिए ! – संपादक )

१. नंदीके गलेके चारों ओरका रुद्राक्षोंकी मालाका खुदा हुआ शिल्प इन अज्ञातोंने तोड दिया तथा नंदीके वस्त्र जला दिए,जिससे संपूर्ण मूर्तिको क्षति पहुंची है ।

२. इस ऐतिहासिक नंदीके निकट स्थित खडियाकी मूर्तिकी दो दुकानें अज्ञातोंने तोडकर दुकानोंकी अनेक देवी-देवताओंकी मूर्तियां भी तोडीं। इन मूर्तियोंके अवशेष नंदीके आसपास सर्वत्र बिखरे पडे थे ।

३. पुलिस आयुक्त के.एल. सुधीरने कहा कि मूर्तिकी तोडफोडके संदर्भमें पूछताछ आरंभ कर दी गई है । अपराधियोंको शीघ्र ही बंदी बनाया जाएगा । नंदीकी मूर्तिके चारों ओर ‘सीसीटीवी कैमरा’ लगानेके विषयमें सरकारको प्रस्ताव भेजा गया है तथा इस क्षेत्रमें रात्रिके पहरेमें वृद्धीकी गई है ।

४. सहायक पुलिस आयुक्त ए.एन्. प्रकाश गौडाने उस स्थानपर घूमनेवाले संदिग्ध मानसिक रोगीपर इस मूर्तिकी तोडफोड करनेका संदेह व्यक्त किया है । ( हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंकी तोडफोड होनेपर उसका आरोप मानसिक रोगीपर किया जाता है तथा वह प्रकरण समाप्त कर दिया जाता है; परंतु मुसलमानोंके आस्थास्थानोंपर आक्रमण होनेपर हिंदू आतंकवादियोंका कृत्य घोषित करते हैं तथा हिंदुओंकी धरपकड करते हैं । यह निधर्मी (अधर्मी) राजनेता एवं पुलिसकी पद्धति हो गई है ! – संपादक )

५. वर्ष १६५९ मे राजा दोड्डा देवराजके कार्यकालमें नंदीकी इस मूर्तिका  निर्माण किया गया था । १५ फुट ऊंची तथा २४ फुट चौडी नंदीकी यह मूर्ति एक ही अखंड पत्थरकी खुदाई कर बनाई गई है  ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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