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पुसद में बकरी ईद के दिन कसार्इयों द्वारा गोरक्षकों को मारपीट, अब कहा गर्इ #NotInMyName गैंग ?

गोरक्षकाें पर होनेवाले आक्रमणों के विरोध में सरकार ने तुरंत कठोर उपाय निकालने चाहिए, एेसी गोप्रेमीयोंकी अपेक्षा है !

पुसद (जिल्हा यवतमाळ) – यहां बकरी र्इद के दिन खुलेआम १०० से अधिक गोवंशों की हत्या की गर्इ। गोहत्या के लिए गोवंशों को लाया गया है, एेसी सूचना मिलनेपर कुछ गोरक्षक पुलिस के साथ जांच करने हेतु रात ९.३० बजे गए । तब धर्मांधों ने उनपर आक्रमण किया। इसमें गोरक्षक श्री. अमोल हुंबे के साथ अन्य घायल हुए, तो गोरक्षक श्री. अनिल पाटील की सोने की चेन छिनकर उनसे मारपीट की । धर्मांधों ने पुलिस थाना को घेर कर पुलिस पर दबाव डालने का प्रयास किया एवं गोरक्षकों के विरोध में ही तक्रार प्रविष्ट की । पुलिस ने तुरंत घायल गोरक्षकों को जेल में डाला । दुसरे दिन उन्हें जमानत मिली। धर्मांधों ने गोरक्षकों के विरोध में तक्रार दी;किंतु पुलिसने वह अस्वीकार की । इसलिए अब वह तक्रार पोस्ट द्वारा भेजी गर्इ है ।

कुछ ही दिन पहले गोरक्षकों को कथित हिंसावादी कहकर ‘गोरक्षकों की हिंसा मंजूर नहीं’ एेसी टिप्पणी करने वाला माननीय सर्वोच्च न्यायालय ‘धर्मांध कसार्इकों द्वारा आक्रमण मंजूर नहीं’ क्या एेसा कहेगा ?

महाराष्ट्र राज्य में गोवंशहत्या पर प्रतिबन्ध है । फिर भी राज्य में गोहत्या की घटना होती है । सरकार ने कठोरता से यह कानून अंमल मे लाने के लिए प्रयास करने चाहिए, यही गोरक्षकाें की अपेक्षा है ।

गोरक्षक पुलिस के साथ मौके पर गर्इ थी जहां पुलिस के सामने ही गोरक्षकोंपर धर्मांधोने आक्रमण किया इस से दो बाते स्पष्ट होती है । एक तो धर्मांध पुलिस के सामने ही आक्रमण करते है इसका अर्थ है कि, धर्मांधों को पुलिस का बिलकुल डर नही है । आैर दुसरी बात जब धर्मांध आक्रमण कर रहे थे तब पुलिस क्या कर रही थी ? उन्होने गोरक्षकों को बचाया क्यों नही ? इससे पुलिस की असमर्थता स्पष्ट होती है । अगर पुलिस के सामने ही गोरक्षकोंपर एेसे आक्रमण होने लगे तो क्या गोरक्षक पुलिस पर विश्वास रखेंगे ?

पुलिस के सामने सब कुछ होने के बावजुद भी पुलिस केवल धर्मांधों के सामने झुककर निरपराध घायल गोंरक्षकों को उपचार हेतु अस्पताल ले जाने के बजाय उन्हे बन्दी बनाती है इसका क्या अर्थ है ? क्या पुलिस धर्मांधो के कहनेपर चलती है ?

धर्मांधों के तक्रार पर गोरक्षकों को त्वरीत बन्दी बनानेवाली यही पुलिस धर्मांधों को गिरफ्तार करना तो दूर हिन्दुत्ववादीयों की धर्मांधों के विरोध में तक्रार भी प्रविष्ट करने में टालमटोल करती है इससे पुलिस का हिन्दुद्वेष ही दीखार्इ देता है ।

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