कोलकाता : मुहर्रम के दिन दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबन्ध को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता सोनाथ अधिकारी ने बताया कि याचिका यूथ बार एसोसिएशन आफ इंडिया कार्यालय के पदाधिकारी सनप्रीत सिंह अजमानी, कुलदीप राय, और रिकी राय द्वारा दायर की गई है।
दायर याचिका में कहा गया है कि, ममता के ट्वीट से हिन्दुआें की धार्मिक भावना आहत हुई है। आज के युग में जबकि सोशल मीडिया का व्यापक असर दिखता है, बतौर मुखिया मुख्यमंत्री द्वारा किया गया ट्वीट समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है और सांप्रदायिक शांति और सद्भाव बिगाड सकता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि, राज्य में प्रमुख होने के नाते प्रत्येक नागरिकों के अधिकार की रक्षा और संविधान का अनुपालन उनकी जिम्मेदारी है। याचिकाकताओं ने कहा है कि इस तरह की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन है। प्राचीन काल से प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार निर्धारित तिथि पर देवी के विसर्जन को रोकना ठीक नहीं है।
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पिछले वर्ष भी ममता बानो ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबन्ध का निर्णय लिया था । किंतु न्यायालय ने ममता सरकार को लताड लगाते हुए इसे हिन्दुआें का धार्मिक हनन करार दिया था आैर निर्णय वापस लेने के लिए कहा था । किंतु नस-नस में भरे हिन्दुद्वेष के कारण इस वर्ष भी हिन्दुआें के उत्सव का दमन शुरु रखा ।
१. सर्वप्रथम हम याचिकाकर्ता यूथ बार एसोसिएशन का अभिनंदन करते है कि, जिन्होंने ममता सरकार के इस हिंदुद्रोही निर्णय के विरूद्ध न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की ।
२. ममता सरकार का अब तक का इतिहास देखा जाए तो उन्होंने अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करने के अलावा आैर कुछ भी नहीं किया है । इसी तुष्टिकरण के चलते आज बंगाल में धर्मांधों का जिहादी प्रभाव बढने लगा है । वहां के हिन्दू सुरक्षित नहीं है ।
२. कालियाचक, मालदा, धुलागढ में हुए सांप्रदायिक दंगों से आज बंगाल झुलस रहा है। यदि एेसी ही स्थिती रही तो एक दिन बंगाल का बांग्लादेश बनने में समय नहीं लगेगा ।
३. ममता सरकार ने आज दुर्गा विसर्जन पर प्रतिबन्ध लगाया है, कल जाकर दुर्गापूजा पर भी प्रतिबन्ध लगाया जाएगा । यह स्थिती बदलने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य है ।
४. कुछ ही दिन पहले ममता बॅनर्जी ने बलशाली कहलानेवाले हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन भाजप के अमित शहा को बंगाल में प्रचार सभा लेने की अनुमती अस्वीकार की थी, तो आरएसएस के मोहन भागवत का सहभाग होनेवाले एक व्याख्यानमाला के कार्यक्रम को ही ममता सरकार ने रद्द कर दिया था। इससे यही ध्यान में आता है कि, अब तो हिन्दु नेताआें काे बंगाल में प्रवेश करना भी कठिन हो गया है ।
५. ममता जैसे नेताआें का अनुकरण अन्य राज्यकर्ते भी कर रहे है। बंगाल जैसे स्थिती अन्य राज्यो में ना आए इसलिए वहां के हिन्दुआें ने समय पर ही सतर्क होकर एेसा प्रभावी संगठन बनाना चाहिए कि, किसी भी राजनेताआें का हिन्दुआेंपर अत्याचार करने का साहस न हों ।
आप क्या कर सकते है ?
१. बंगाल में आज जो स्थिती उत्पन्न हुर्इ है, उस विषय में अन्य हिन्दूआें से चर्चा कर उनमें जागृति फैला सकते है ।
२. सोशल मिडिया के माध्यम से जैसे ट्विटर पर #AntiHinduMamta #SaveHindusInBengal जैसै हैशटॅग का उपयोग कर बंगाल के स्थिती के विषय में समाज में जागृति करें ।
३. ममता बॅनर्जी के निर्णय के विरोध में जैसे अधिवक्ता ने याचिका दायर की है । यदि आप के क्षेत्र में कोर्इ एेसा हिन्दुविरोधी निर्णय लिया जाता है या हिन्दुआें की कोर्इ भी समस्या है, तो उसके लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद संघटना आप के लिए कानूनी तौर पर सहाय के लिए कार्यरत है । इसके लिए आप www.HinduJagruti.org/hvp इस पेज को भेट देकर आप अधिवक्ताआें से संपर्क कर सकते है ।