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असम : हिन्दू शिक्षिका पर इस्लाम अपनाने तथा गोमांस खाने के लिए दबाव

दि नॉर्थर्इस्ट टूडे पत्रिका में आए वृत्त के अनुसार, असम के मोरीगांव जिले में एक हिन्दू शिक्षिका ने अपने विद्यालय के २ वरिष्ठ सहकर्मीयोंपर लगाए आरोप के अनुसार असम पुलिस इस विषय में जांच करेगी । शिक्षिका ने अपने आरोप में कहा है कि, सहकर्मीयों ने उसपर गोमांस खाने के लिए तथा इस्लाम अपनाने हेतु दबाव डाला ।

इस शिक्षिका ने उसपर हो रहे अत्याचारों के विषय में असम के मुख्यमंत्री तथा शिक्षामंत्री से शिकायत की । उसने यह भी कहा है कि, मैने ब्लॉक शिक्षणाधिकारी तथा पुलिस उपायुक्त से इस विषय में शिकायत की थी, परंतु इसका कोर्इ भी परिणाम नहीं हुआ । उन्होंने कहा की मुझपर धर्म परिवर्तन हेतु डाले जानेवाले दबाव के चलते तथा इस कारण होनेवाले मानसिक पीडा के कारण मैंने पिछले कुछ दिनों से विद्यालय जाना भी बंद कर दिया है ।

हिन्दू शिक्षिका ने कहा, ‘‘पहले तो मैने इस बात की आेर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, परंतु परिस्थिती ज्यादा ही गंभीर हो गर्इ । मेरे एक वरिष्ठ सहकर्मी मुझपर इस्लाम अपनाने के लिए तथा उनसे निकाह करने के लिए दबाव डालते थे । जब मैंने इस विषय में अपने वरिष्ठतम सहकर्मी से शिकायत की, तो उन्होंने मेरे सहकर्मी का समर्थन किया । इतना ही नहीं, उन्होंने तथा उनकी पत्नी ने मुझपर गोमांस खाने के लिए दबाव डाला ।’’

यह वृत्त पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है :

१. यदि किसी मुस्लिम व्यक्ती पर रमजान के काल में कुछ खाने का दबाव डाला गया, तो सेक्युलर मीडिया तथा तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता उसे ‘राष्ट्रीय प्रश्न’ बना देते है । परंतु अब यही मीडिया तथा कार्यकर्ता इस विषय पर चुप क्यों है ?

२. कर्इ तथाकथित विचारक, सेक्युलर मीडिया एवं कार्यकर्ता ‘लव जिहाद’ का अस्तित्व मानने से ही इन्कार करते है । क्या इस हिन्दू शिक्षिका पर इस्लाम अपनाकर निकाह करने के लिए एक जिहादीद्वारा दबाव डालना यह ‘लव जिहाद’ नहीं है ? चाहे सेक्युलर मीडिया तथा कार्यकर्ता माने या ना माने, सभी हिन्दुआें ने लव जिहाद की इस गंभीर समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए । साथ ही महिलाआें के व्यक्ति स्वातंत्र्य के लिए लढनेवाले स्त्रीमुक्तीवाले अब कहां गायब हो गए है ?

३. हिन्दू शिक्षिका ने कहा है कि, उसने अपनी शिकायत प्रथम शिक्षणाधिकारी तथा पुलिस उपायुक्त से की थी, परंतु उसका कोर्इ भी परिणाम नहीं हुआ । आखिर इसका कारण क्या था ? क्या प्रशासकीय अधिकारियों ने यह तय किया है कि, किसी ‘अल्पसंख्यकों’ के विरूद्ध कोर्इ कारवार्इ नहीं करनी है ? अब मुख्यमंत्री जी ने आरोपी जिहादीयों के साथ साथ इन प्रशासकीय अधिकारीयों पर भी उचित कारवार्इ करनी चाहिए ।

आप क्या कर सकते है ?

१. आज खुले आम हिन्दुआें का इस्लाम तथा र्इसार्इ पंथ में प्रलोभन, दबाव या अन्य कर्इ माध्यमों से धर्म परिवर्तन किया जा रहा है । यदि आप धर्म परिवर्तन तथा लव जिहाद के विषय में जानकारी नहीं रखते, तो आप इस विषय में स्वयं जानकारी प्राप्त कर सकते है तथा अन्य हिन्दुआें में भी इस विषय जागृति करने के लिए प्रयास कर सकते है ।

लव जिहाद के विषय में जानकारी : https://www.hindujagruti.org/hindi/hindu-issues/love-jihad

धर्म परिवर्तन के विषय में जानकारी : https://www.hindujagruti.org/hindi/hindu-issues/conversion

२. हिन्दू जनजागृती समिति की आेर से धर्म परिवर्तन तथा लव जिहाद के विषय में जागृति करने हेतु कुछ ग्रंथ प्रकाशित किए गए है । आप स्वयं इन्हें खरीद सकते है तथा अन्यों को भी यह ग्रंथ पढने हेतु बता सकते है ।

यह ग्रंथ खरीदने हेतु आगे दिए गए लिंक पर क्लिक करे : https://sanatanshop.com/shop/hn/52-anya

३. असम के मुख्यमंत्री तथा शिक्षामंत्री को इस विषय में ध्यान देने के लिए तथा अारोपी जिहादीयों के साथ साथ जिन अधिकारीयों ने शिकायत के उपरांत भी कोर्इ कारवार्इ नहीं की, उनपर भी शीघ्रता से कारवार्इ करे ।

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