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नीमच के सुमित राठौड १०० करोड की संपत्ती त्यागकर लिया संन्यास

अद्ययावत

सुमित राठौड आैर उनकी पत्नी अनामिका राठौड

मध्य प्रदेश में १०० करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़कर जैन भिक्षु बनने जा रहे दंपत्ति में से यहां हुए एक समारोह में केवल पति ही भिक्षु बने, जबकि उनकी पत्नी का समारोह रद्द कर दिया गया। यह कार्यक्रम गुजरात के सूरत के वृंदावन पार्क में जैन भिक्षु आचार्य रामलाल जी महाराज के सानिध्य में हुई, जिन्होंने ३५ साल के सुमित राठौर को सुमित मुनि का नाम दिया। रामलाल महाराज ने कहा कि, ३४ वर्षीय अनामिका की दीक्षा कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगी। उन्होंने इसके लिए कोई तारीख नहीं दी है।

अखिल भारतीय साधुर्गी जैन श्रवण संघ नीमच के जिला प्रभारी संदीप खाबिया, जो सूरत में हुए दीक्षा समारोह में उपस्थित भी थे, ने कहा कि, जैन समुदाय के हजारों लोगों की उपस्थितगी में सुबह ७.३० बजे यह कार्यक्रम हुआ था। सुमित का सिर मुंडवा दिया गया और उन्होंने भिक्षुओं वाले सफेद कपड़े पहन लिए।


सितम्बर 18, 2017

नीमच के दम्पति १०० करोड की संपत्ती तथा ३ वर्ष के लडकी को त्यागकर लेंगे संन्यास

आध्यात्मिक उन्नती हेतु यदि काेर्इ संन्यास ले रहा हो, तो वह सही है, परंतु बुद्धीवादीयों को यह ज्ञात न होने के कारण उनकी आलोचना की जाती है !

नीमच (मध्यप्रदेश) – सुमित राठौड आैर उनकी पत्नी अनामिका राठौड यह जैन दम्पत्ति उनके १०० कोटी रुपयेंकी संपत्ति तथा उनकी ३ वर्ष की बेटी का त्याग कर संन्यास लेने वाले है । अगले सप्ताह २३ सितंबर को वे सूरत में दीक्षा लेंगे । उनकी रिश्तेदार रेखा जैन ने कहा कि, ‘यह पूरे नीमच के लिए गर्व की बात है यह अभूतपूर्व निर्णय है ।

३५ साल के सुमित राठौड ने लंदन के कॉलेज से आयात निर्यात में डिप्लोमा लिया । वह १०० करोड की संपत्ति के मालिक हैं । उनकी ३४ साल की पत्नि अनामिका इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में काम कर चुकी हैं ।

३ वर्ष की बेटी का त्याग कर संन्यास लेने के निर्णय पर आलोचना करनेवाले लोगो को सुमित ने जबाव दिया है कि, विश्व में इतने अनाथ बच्चे है, उन्हे कहां माता-पिता है ? उनका पालन-पोषण हो रहा है ना ? उनके करीबी रिश्तेदार जिनेंद्र ने कहा, ‘उनके परिजन बच्ची का ख्याल रखेंगे ।’

जिनका आध्यात्मिक स्तर अच्छा है, वही एेसा विचार कर सकते है । अध्यात्म यह कृती का शास्त्र है । अध्यात्म में बताए गए सूत्र जब तक कृती में नहीं लाए जाते, तब तक उनका महत्त्व मनुष्य को पता नहीं चलता । एेसा होते हुए भी तथाकथित बुद्धीजीवी एवं आधुनिकतावादी जिनका अध्यात्म के विषयमें कोर्इ अभ्यास नहीं है, वह इसपर टीका करते है ।

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