गीता पाठ प्रतियोगिता जीतने वाली ओडिशा की सोवानिया शिक्षाश्राम में पढ़ने वाली पांच साल की मुस्लिम लडकी फिरदौस को उसके घरवालों पर स्थानीय मौलवियों के दबाव के चलते विद्यालय बदलना पडा।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार मौलवियों का कहना है कि, विद्यालय में रोजाना गीता का पाठ करने के लिए छात्रों को मजबूर किया जाता है। लडकी के ज्यादात्तर रिश्तेदार और मौलवियों ने भी फिरदौस के गीता पढने पर नाखुशी जाहिर की थी। इसके साथ ही फिरदौस के पिता, जो कि सऊदी अरब में रहते हैं, उन्होंने भी अपनी पत्नी और भाई को फिरदौस का विद्यालय बदलने के लिए कहा था।
फिरदौस ने मार्च महीने में यह प्रतियोगिता जीती थी। इस पर फिरदौस की मां ने खुशी जाहिर की थी। फिरदौस की मां आरिफा बीवी ने उस समय कहा था, ‘मुझे फिरदौस की मां होने पर गर्व महसूस हो रहा है। मुझे यह जानकर काफी खुशी हुई कि मेरी बेटी फिरदौस हिंदू धार्मिक ग्रंथ का पाठ करने में एक नंबर पर आई है। मेरी बेटी की सफतला का श्रेय उसकी स्कूल के अध्यापकों को जाता है।’
स्कूल की हेड टीचर उर्मिला ने कहा था, ‘इस विद्यालय में मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्म के लड़के और लडकियां पढ़ते हैं। पाठ्यक्रम की किताबों में छात्रों को हर धर्म के धार्मिक ग्रंथों से नैतिक शिक्षा भी पढार्इ जाती हैं।’
यह समाचार पढने से एेसा लगता है कि, क्या धर्मनिरपेक्षता का ठेका केवल हिन्दुआें ने ही ले रखा है ?
१. देश में लव-जिहाद की घटना होती है, तो लडका-लडकीयों के प्रेमसंबंध में धर्म न लाए, एेसा कहनेवाली मिडिया तथा सेक्युलरवादी अब इस घटना पर चुप्प क्यों है?
२. यहां लडकी ने केवल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, गीता का पाठ करने से उसका धर्म तो नहीं बदलने वाला था, इस प्रकार का प्रबोधन करने लिए निधर्मीवादी क्या मौलवी तथा लडकी के परिवारवालों के घर जाएंगे ?
३. स्कूल की हेड टीचर के अनुसार विद्यालय में सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथों से नैतिक शिक्षा पढार्इ जाती है । वहीं प्रतियोगिता जितने के बाद फिरदौस की माता ने भी गर्व महसूस किया था आैर अपना आनंद प्रकट किया था । किंतु फिर भी गीता पाठ को जबरन पढवाया जाने का झूठा आरोप कर मौलवीयोंद्वारा इसे धार्मिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है । इस प्रकार से मौलवी समाज में धर्मांधता एवं नफरत फैला रहे है । इनपर क्या सरकार तुरंत कारवार्इ करेगी ?
४. फिरदौस ने प्रतियोगिता जीती थी तब मिडिया ने उसे खूब कवरेज दिया था किंतु अब उसे विद्यालय से गीता पाठ के ही कारण निकालने की घटना पर मिडिया में सन्नाटा छाया है ।