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देश की सुरक्षा के लिए स्थानिक धर्मांधों को रोकने के लिए चीन ने धार्मिक स्वतंत्रतापर लगाए निर्बंध

भारत कभी एेसा प्रयास नही करता; इसका कारण है भारतीय राजनेता एवं शासनकर्ताआें को देश से ज्यादा अल्पसंख्यकों के वोट की अधिक चिंता रहती है !

बीजिंग – देश के धर्मांधों को रोकने हेतु चीन के स्टेट काऊन्सिलद्वारा देश की घटना में सुधार किया गया है । इसके अनुसार बिना अनुमती धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करनेवालों को ३ लाख युआन (युआन यह चीन का चलन है । ३ लाख युआन अर्थात २९ लाख ३६ हजार रुपये), तो एेसे कार्यक्रमों को जगह देनेवालों को भी २ लाख युआन (१९ लाख ३६ हजार रूपये) का जुर्माना भरने के लिए कहा गया है ।

स्टेट काऊन्सिल के वेबसार्इट पर प्रसिद्ध किए गए नियमों को के अनुसार कोर्इ भी संगठन अथवा व्यक्ती राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में आएगी, एेसी अवैधी कारवार्इ करने के लिए धर्म का उपयोग नहीं करत सकता । धार्मिक समुदाय को सरकार के पास पंजीकरण करना आवश्यक होगा ।

चीन में मुसलमान तथा र्इसार्इयों पर इसके पूर्व की अनेक प्रकार के निर्बंध लदे हुए है । धार्मिक संगठनोंपर विदेश से चंदा लेने पर भी प्रतिबन्ध लगाया गया है ।

यह वार्ता पढकर भारत के विषय में कुछ सूत्र ध्यान में आते है :

१. भारत में र्इसार्इ मिशनरी तथा कुछ अल्पसंख्यकों के संस्थाआें को भी FCRA द्वारा विदेश से पैसा आता है। उसका उपयोग भारत तथा हिन्दू विरोधी कारवार्इ करने में तथा हिन्दूआें का धर्मांतरण करने के लिए कहा किया जाता है यह बात कुछ उदाहरणों में सामने आर्इ है । मोदी सरकार ने इसके विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रारंभ किया है, परंतु अभी तक बहुत कुछ करना बाकी है ।

२, भारत में देशविरोधी तत्त्व खुलेआम रैलीयां निकालकर राष्ट्र विरोधी भाषण देते है, वही चीन में राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में लानेवालों पर कठोरता से कारवार्इ होती है । इस बाबत भारत को चीन से सीखना चाहिए तथा इस प्रकार के देशविरोधी तत्त्वों के विरूद्ध तुरंत कठोर कारवार्इ करनी चाहिए ।

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