एक वर्ष से म्यानमार में हो रहे हिंसाचार को रोहिंग्या मुसलमान ही उत्तरदायी है । (भारत का एक भी राजनेता एेसा कहने का साहस कभी करते है ?) मुसलमान कट्टरपंथियाेंद्वारा पुलिस स्टेशन को लक्ष्य किया जा रहा है । अभी की हिंसा २५ अगस्त के दिन पुलिस स्टेशन पर रोहिंग्या मुसलमानों ने किए हुए आक्रमण के कारण ही भडकी है । कर्इ लोगों के घर जलाए गए । इस कारण ‘रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी’को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है । आतंकवादी कारवार्इयो में उनका हाथ है । देशहित सामने रखकर ही उनपर कारवार्इ की जा रही है । (देशहित देखकर आतंकवादीयों पर भारत में कारवाई की गर्इ होती, तो आज देश आतंकवादमुक्त हो जाता !) म्यानमार में कानून-सुव्यवस्था तथा स्थैर्य स्थापन करने में हम कटिबद्ध है ।
म्यानमार में आज भी अनेक गावो में मुसलमान रह रहे है । हिंसाचार के बाद भी उन्होंने उनका गांव, घर छोडा नही है । अंतरराष्ट्रीय समुदाय म्यानमार आकर प्रत्यक्ष परिस्थिती का अवलोकन कर सकता है ।
यहां गौर करने लायक बात है कि, कर्इ दशकों से म्यानमार में रहने के बावजुद भी वहां देशविरोधी गतिविधीयां करनेवाले रोहिंग्याआें को यदि भारत ने आश्रय दिया तो कल वे भारत में भी देशविरोधी गतिविधीयाें को अंजाम देंगे, क्या यह बात उनका समर्थन करनेवालों को नहीं समझती ?
बांगलादेश में ४ लाख रोहिंग्या मुसलमान छावनी में रह रहे है । भारत ने उन्हे आश्रय देने की बात मानी तो यह ४ लाख रोहिंग्या बांगलादेश से भारत आएंगे एवं उनके साथ बांगलादेश घुसपैठीए भी घुसखोरी करेंगे. यह बात रोहिंग्याआें के लिए रोनेवाले सेक्युलर लोगों के ध्यान के क्यों नही आती ?