लगभग १५ दिन पूर्व भी उक्त शिक्षिका ने इसी विद्यालय के कक्षा २ के छात्र सागर सिंह को भी पीटा था।
यह समाचार पढकर मन में कुछ प्रश्न आते है :
१. यदि किसी मुस्लिम छात्र का इस प्रकार का उत्पीडन होता, तो मिडिया ने इसे ‘Breaking News’ बना दी होती । इस विषय पर चर्चा सत्र आयोजित किए होते । देश में असहिष्णुता बढने का ढिंढोरा पिटा जाता । किंतु इस घटना में पीडित छात्र हिन्दू है, क्या केवल इसलिए बिकाऊ मिडिया इसे कोर्इ कव्हरेज नहीं देती ?
२. विद्यालय की शिक्षिका छात्रों से बर्तन धुलवाती थी। विद्या के मंदिर में छात्रों को बर्तन धोने जैसा व्यक्तिगत काम कैसे दिया जाता है ? विद्यालय के अन्य शिक्षक तथा प्रधानाध्यापक को क्या यह बात पता नहीं थी ? आैर यदि पता थी, तो उन्होंने इस विषय में कुछ कारवार्इ क्यों नहीं की ?
३. प्रशासन अमानवीय तरीके से छात्रों के साथ मारपीट करनेवाले इस ‘शांतिप्रिय’ शिक्षिका पर जुवेनाइल जस्टीस अॅक्ट २००० के तहत कारवार्इ करें, एेसी हिन्दुआेंकी अपेक्षा है ।