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रोहिंग्या संकट : हिंदू शरणार्थियों को मोदी सरकार से उम्मीद

बांग्लादेश/नई देहली : म्यांमार की सेना और रोहिंग्या विद्रोहियों के बीच फंसे बांग्लादेश भागनेवाले सैकडो हिंदुओं को अब भारत सरकार से उम्मीदें हैं ! बांग्लादेश में ४ लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों के कैंपों से कुछ मील की दूरी पर हिंदुओं को रखा गया है। अब इन शरणार्थियों का कहना है कि उन्हें म्यानमार में अब वापस जाने से डर लगता है, परंतु अब उन्हें मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भी रहने को लेकर चिंता सता रही है !

शरणार्थी कैंप में अपनी पत्नी के साथ बैठे निंरंजन रूद्र ने कहा, ‘भारत को हिंदुस्तान के तौर पर भी जाना जाता है। हम बस भारत में एक शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं, ज्यादा कुछ नहीं। ऐसा जीवन शायद हमें न तो म्यांमार में मिलेगा और न ही यहां (बांग्लादेश में) !’

हालांकि, भारत सरकार ने हिन्दू शरणार्थियों की इस उम्मीद पर कोई टिप्पणी नहीं दी है। सरकार के एक सूत्र के अनुसार, केंद्र फिलहाल देश से ४० हजार रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार भेजने के विरोध में उच्चतम न्यायालय में चल रहे मामले पर आदेश का इंतजार कर रहा है !’

विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ सदस्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीबी अचिंत्य बिस्वास ने कहा कि, म्यांमार से भाग रहे हिंदुओं के लिए भारत मंजिल है। उन्होंने कहा, ‘सरकार को हिन्दू परिवारों को भारत में आने देना चाहिए। वे और कहां जाएंगे ? यही उनकी उत्पत्ति की जगह है !’ बिस्वास ने बताया कि, विहिंप और आरएसएस गृह मंत्रालय को शरणार्थियों पर एक रिपोर्ट सौंपेंगे और म्यांमार-बांग्लादेश के हिंदुओं को भारत में शरण देने के लिए नई नीति बनाने की मांग करेंगे। हालांकि, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर बयान देने से इनकार कर दिया !

स्त्रोत : जनसत्ता

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