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गौहत्या के आरोप में मारे गए पीडितों के लिए मुआवजा दें : उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को गौरक्षकों के आतंक से निपटने का आदेश देते हुए कहां है कि, सभी राज्य सरकारें १३ अक्टूबर तक प्रत्येक जिले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की तैनाती करे जो गौ हत्या के नाम पर होने वाली हिंसा की रोकथाम के लिए काम करे और उससे जुड़े सभी मामलों की देखरेख करे । न्यायालय ने राज्य सरकारों से गौहत्या के आरोप में मारे गए या मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी व्यवस्था करने को कहा है ।

परंतु अन्य भी कुछ सूत्रोंपर गौर करने की आवश्यकता है :

१. गोरक्षकोंद्वारा होनेवाली हिंसा पर उच्चतम न्यायालय जिस तरह निर्णय ले रही है उसी तरह माननीय न्यायालय ने गोरक्षकों पर होनेवाले आक्रमण रोकने हेतु पुलिस एवं राज्य सरकार को आदेश देने चाहिए एेसी हिन्दुआें की अपेक्षा है ।

२. गोरक्षक भी कर्इ बार अपनी जान जोखिम मे डालकर गोरक्षण का कार्य करते है । बहुत से जगह जहां कानून ने गोवंश की रक्षा करना आवश्यक रहते हुए भी पुलिस वह नही करती वहां गोरक्षक जान पर खेलकर गोरक्षण करते है । उन्हे पुलिस भी सहायता नही करती । गाेरक्षक भी इस देश के नागरीक नहीं है ? क्या उच्चतम न्यायालय गोरक्षकों पर होनेवाले आक्रमणों को रोकने हेतु पुलिस को आदेश देगी ?

३. जिस पध्दती से गौहत्या के आरोप में मारे गए या मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पीड़ितों को मुआवजा देने की बात न्यायालय ने कही है उसी तरह आज तक गोरक्षकों की भी हत्याए हुर्इ है तथा गोतस्कर अब सैनिकों पर भी आक्रमण कर उनकी हत्या करते है । इन पिडितों को भी मुआवजा देने का आदेश भी माननीय न्यायालय ने देना चाहिए एेसी हिन्दुआें की अपेक्षा है ।

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