मनोरमा दैनिक में आए वार्ता के अनुसार, केरल के अल्लापुझा जिले के पुलीयुर गांव में स्थित महाविष्णू मंदिर पर सत्तारूढ कम्युनिस्ट पक्ष के युवा संगठन डी.वाय्.एस्.एफ्. ने अपना झंडा लगाया था । इससे नए विवाद का निर्माण हुआ है । इस मंदिर में १२ सितंबर को श्रीकृष्ण जयंती उत्सव मनाया गया । उस समय आरएसएस ने अपना झंडा मंदिर में लगाया था । साम्यवादी संगठन का कहना है कि, आरएसएस को प्रत्युत्तर देने के लिए उन्होंने अपना झंडा मंदिर पे लगाया ।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र सामने आते है :
१. क्या साम्यवादी संगठन डी.वाय्.एस्.एफ्. कभी अपना झंडा किसी चर्च या मस्जिद पर लगाने का साहस दिखा सकता है ?
२. हिन्दू्आें के मंदिर पर इस प्रकार झंडा लगाना यह हिन्दूआें के धर्मभावना का अनादर करना ही है । इसलिए साम्यवादी संगठन पर कठोर कारवार्इ होनी चाहिए । परंतु केरल की साम्यवादी सरकार तो एैसे करेगी नही, इसलिए केंद्र सरकार ने इस विषय में हस्तक्षेप कर साम्यवादी संगठन पर कारवार्इ के आदेश देने चाहिए ।
३. हिन्दूआें के मंदिर पर इस प्रकार झंडा लगाना याने एक प्रकार से मंदिर अपना हक जताने जैसा ही है । धर्म को ना माननेवाले नास्तिक साम्यवादियों इस प्रकार हिन्दू मंदिर पर अपना हक जताने का कोर्इ भी अधिकार नहीं है ।
४. आज केरल में आए दिन हिन्दूआें के हत्याए हो रही है, हिन्दूआें का धर्मांतरण भी तेजी से हो रहा है, सरकार हिन्दूआें के मंदिरों का सरकारीकरण का भी प्रयास कर रही है तथा अलापुझा में जैसी घटनाएं भी बढ रही है । यदि अब केरल के हिन्दू संगठित नहीं हुए, तो भविष्य में उनका अस्तित्व ही संकट में आ सकता है, यह वे ध्यान में रखे ।