महाराष्ट्र के अमरावती शहर में स्थित श्री अंबादेवी माता का प्राचीन मंदिर पूरे क्षेत्र में सुप्रसिद्ध है, तथा दूर दूर से श्रद्धालू माता के मंदिर में दर्शन के लिए आते है । परंतु हाल ही में प्रसिद्ध हुए धर्मादाय सहआयुक्त कार्यालय के रिपोर्ट में कुछ चौका देनेवाले सत्य सामने आए है । इनमें से कुछ सूत्र इस प्रकार है :
१. श्री अंबादेवी संस्थान के भूमी से संबंधित पंजिका/हिसाब सूची संग्रहित ना करने के कारण भूमीविषयक अद्ययावत जानकारी उपलब्ध नहीं है । संस्थान की कर्इ जगह की भूमी विश्वस्तों ने बेच दी है । कुछ भूमी डैम या अन्य शासकीय प्रकल्प के लिए अधिग्रहित की गर्इ है ।
२. कुछ भूमी के संदर्भ में न्यायालय में केस चल रहे है । न्यायालयीन प्रक्रिया में आवश्यक कृती करने में विश्वस्त कम पड रहे है । इस विषय में भूमी संस्थान के कब्जे में लेने के लिए आवश्यक कारवार्इ करने में विश्वस्त कम पड रहे है ।
३. प्राचीन मंदिर के कुछ भाग जीर्णावस्था में है, जिनकी मरम्मत ना होने के कारण वे कभी भी गिर सकते है ।
४. भक्तों से प्राप्त हुए पैसे का उपयोग अन्य कारणों के लिए ही किया जा रहा है । इस दान का उपयोग मंदिर के विकास के लिए नहीं किया जा रहा है । इस कारण भक्तों में भी असंतुष्टता फैली है ।
यह वार्ता पढकर कुछ विचार ध्यान में आते है :
१. जिस भगवान को सबकुछ पता होता है, जो हमें जीवन में सबकुछ प्रदान करता है, उस भगवान के लिए सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए । परंतु कुछ तथाकथित भक्त भगवान की भूमी को अपने लिए बेचकर भ्रष्टाचार कर रहे है, तो क्या एैसे हिन्दुआें पर भगवान कभी कृपा करेंगे ? एैसा वर्तन करना यह अधर्म ही है तथा इस प्रकार का अधर्म कर भगवान के यह तथाकथित भक्त महापाप के ही भागीदार बन रहे है ।
२. भारत को स्वातंत्र्य प्राप्त होने के उपरांत किसी भी शासनकर्ता ने जनता को धर्मशिक्षा तथा साधना ना सिखाने के कारण ही आज हर जगह भ्रष्टाचार फैल चुका है । यह स्थिती बदलने हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना अनिवार्य हो चुका है । हिन्दू राष्ट्र में सभी को धर्मशिक्षा मिलेगी आैर इस कारण कोर्इ मंदिर में ही क्या किसी भी छेत्र में भ्रष्टाचार करने का विचार भी किसी नागरिक के मन में नहीं आएगा ।
३. अब धर्माभिमानी हिन्दुआें की यही अपेक्षा है की श्री अंबादेवी संस्थान में हो रहे इस भ्रष्टाचार के लिए जो भी व्यक्ति उत्तरदायी है, उन सभीपर कडी से कडी कारवार्इ प्रशासन ने करनी चाहिए ।
आप क्या कर सकते है ?
१. मंदिर यह हिन्दुआें के चैतन्य का स्रोत है । मंदिरों का महत्त्व जानने हेतु आगे दिए लिंक पर क्लिक कर आप आवश्यक जानकारी पढ सकते है, तथा अन्यों को यह लिंक शेअर कर सकते है : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism/hinduism-practices/hindu-temple
संपूर्ण धर्मशिक्षा हेतु जानकारी के लिए : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism
२. सभी को धर्मशिक्षा मिले इस हेतु से हिन्दू जनजागृति समिति धर्मशिक्षा वर्ग का आयोजन भी करती है । यदि आप अपने क्षेत्र में धर्मशिक्षा वर्ग का प्रारंभ करना चाहते है तो हमें [email protected] पर संपर्क करे ।