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कुंभमेलेमें तथाकथित निधर्मियोंकी महामारी फैलानेका षड्यंत्र !

स्वामी चिदानंद स्वामींजीके नेतृत्वमें सर्वधर्म संसदका आयोजन !

प्रयागराज : कुंभमेलेमें सहभागी हुए हिंदू धर्मके सर्व धर्मगुरु एवं साधुसंत आजकल अपने-अपने प्रवचनोंद्वारा गोहत्या बंदी, गंगा नदी प्रदूषण इत्यादि विषयोंपर जागृति कर रहे हैं । वे हिंदुओंका बडी लगनसे प्रबोधन कर रहे हैं । ऐसे वातावरणमें परमार्थ निकेतनके स्वामी चिदानंद सरस्वती (मुनिजी) ने १८ एवं १९ फरवरीको सर्वधर्म संसदका आयोजन करनेसे कुंभनगरीमें रोष उमड पडा है । स्वामीजीपर आरोप किया जा रहा है कि करोडों हिदुंओंके इस भव्य समारोहमें निधर्मियोंकी महामारी फैलानेका षड्यंत्र है ।’

१. स्वामी चिदानंद सरस्वतीजी ने अपना निवास मूल कुंभनगरीसे अलिप्त रखा है । इस स्थानपर केवल विदेशी नागरिकोंकी ही भीड है । वहां क्वचित ही भारतीय दिखाई देते हैं ।

२. इस स्थानर वास्तव्य करनेवाले परदेशी नागरिक पाश्चात्त्य वेशभूषामें पाए गए । अन्य संतोंके समान स्वामीजीके सहवासमें रहकर वे हिंदू धर्मसे प्रभावित हुए हैं एवं उनकी वेशभूषा एवं आचरण हिंदू संस्कृतिके अनुसार हो, ऐसा कहीं दिखाई नहीं दिया । इसके विपरीत वे सभी सार्वजनिकरूपसे पाश्चात्त्य पद्धतिसे वास्तव्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं ।

३. ऐसे आश्रममें स्वामी चिदानंद स्वामीजीने विश्वभरमें सर्व धर्मके गुरुओंको आमंत्रित करके वहां १८ एवं १९ फरवरीको दो दिन सर्वधर्म संसदका आयोजन किया है । इसलिए कुंभनगरीमें ऐसी भी टीका-टिप्पणी होने लगी है कि ‘यह संसद परदेशी नागरिकोंको आकर्षित करने हेतु माध्यम तो नहीं है ?’

४. कुंभनगरीमें संत, महंत, अखाडा प्रमुख तथा महामंडलेश्वर, ये सभी इस सर्वधर्मसंसदका विरोध करनेके लिए सक्रिय हो गए हैं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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