पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भडकी सांप्रदायिक हिंसा के बाद वहां के स्थानीय लोग अभी भी अपने घर लौटने से घबरा रहे हैं । इसमें हिंसा की आग में झुलसे दोनों ही सुमदाय के लोग शामिल हैं । पूछने पर चांदमारी की रेलवे कॉलोनी में स्थित अपने घर के बाहर खडे अखिलानंद सिंह ने पडोसी के घर की आेर इशारा करते हुए बताया कि, धर्मांधों ने उसे तोड दिया और लूटपात की । उन्होंने कहा कि, उनका खुद का बेटा पुलिस हिरासत में है । जिसका कसूर अभी तक पता नहीं चल पाया है । दो साल पहले रेलवे में सुरक्षा गार्ड रहते रिटायर्ड हुए सिंह उन सैंकडों लोगों में से एक हैं जो हिंसा की आग (रामनवमी के दौरान हुए संघर्ष में दो लोगों की मौत हो गई और सैकडों लोगों को अपना घर छोडकर भागना पडा) में झुलसे हैं । जिन लोगों को अपना घर छोडकर जाना पडा उनमें अधिकतर लोग हिन्दू समुदाय से आते हैं । इन लोगों के बीच घर वापसी को लेकर खासा डर उत्पन्न हो गया है ।
सिंह आगे कहते हैं, ‘रामनवमी की रैली के बाद सुबह लगभग १० बजे कुछ युवा जिनके चेहरे ढके हुए थे, लाठी और रॉड्स लेकर आस-पडोस में घूम रहे थे । मैं अपने घर में था परंतु दंगाईयों की गोलीबारी की आवाज को सुन सकता था । मैंने रो रहे एक साल के अपने पोते का मुंह दबाकर जान बचाई । उन्होंने हमारे पडोसियों के घरों के दरवाजे तोड दिए और सबकुछ लूट लिया । दंगाईयों ने कुछ घरों को आग के हवाले भी कर दिया ।’
अखिलानंद सिंह बताते हैं कि, ‘मैंने मदद के लिए १०० नंबर पर पुलिस को फोन किया, परंतु कोई जवाब नहीं मिला । इसके बाद मैंने अपने दोस्त को फोन किया, जो हमारी मदद के लिए कुछ हिन्दू युवाओं के साथ आए । रविवार (२५ मार्च, २०१८) को दोपहर बाद मैं अपनी पत्नी, बेटा, बहू और पोते के लेकर लगभग छह किमी दूर बर्नपुर दोस्त के घर पहुंचा । बाद में मैं अपना घर देखने के लिए बेटे के साथ यहां पहुंचा तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया ।’ सिंह ने यह बात अपने घर के बाहर कहीं, जो तबाह घरों और जले वाहनों के बीच में था ।
सुमित्रा देवी (५०) और उनके परिवार का कहना है कि, इस हिंसा में उनका सबकुछ चला गया । भीड ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें पैसों से लेकर गहने और जरूरी कागज जैसे राशन कार्ड था ।
स्त्रोत : जनसत्ता