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धर्म से परे है गौरक्षा, ‘पवित्र गो रक्षकों’ को सरकार से डरने की आवश्यकता नहीं : मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि, गौरक्षकों को हिंसक घटनाओं के साथ जोड़ना ठीक नहीं है । गौरक्षकों और गौपालकों को चिंतित या विचलित होने की आवश्यकता नहीं है । चिंतित आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को होना चाहिए, गौरक्षकों को नहीं ! साथ ही उन्होंने घोषणा की कि, गौरक्षा व गौसंवर्धन का वैध व पवित्र परोपकारी कार्य चलेगा और बढ़ेगा और यही इन परिस्थितियों का उत्तर भी होगा !

विजयदशमी के पर्व पर आरएसएस मुख्यालय में अपने संबोधन में मोहन भागवत ने अवैध शरणार्थियों, गौ रक्षकों, जम्मू कश्मीर की स्थिति और आर्थिक हालात जैसे कई विषयों का उल्लेख किया । उन्होने कहा कि, गौरक्षा से जुड़े हिंसा व अत्याचार के बहुर्चिचत प्रकरणों में जाँच के बाद इन गतिविधियों से गौरक्षक कार्यकर्ताओं का कोई संबंध सामने नहीं आया है । परंतु पिछले कुछ दिनों में उलटे अहिंसक रीति से गोरक्षा का प्रयत्न करनेवाले कई कार्यकर्ताओं की हत्याएँ हुई हैं । उसकी न कोई चर्चा है, न कोई कार्रवाई । उन्होंने कहा कि, वस्तुस्थिति न जानते हुए अथवा उसकी उपेक्षा करते हुए गौरक्षा व गौरक्षकों को हिंसक घटनाओं के साथ जोड़ना व सांप्रदायिक प्रश्न के नाते गौरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाना ठीक नहीं है !

गौरक्षा मसले की पृष्ठभूमि में जाते हुए उन्होंने कहा कि, कम खर्चे में विषमुक्त खेती करने का सहज सुलभ उपाय गौ आधारित खेती ही है । इसलिए गौरक्षा तथा गौ संवर्धन की गतिविधि संघ के स्वयंसेवक, भारतवर्ष के सभी संप्रदायों के संत, अनेक अन्य संगठन संस्थाएँ तथा व्यक्ति चलाते हैं । गाय अपनी सांस्कृतिक परंपरा में श्रद्धा का एक मान बिंदु है । गौरक्षा का अंतर्भाव अपने संविधान के मार्गदर्शक तत्वों में भी है । कई राज्यों में उसके लिए कानून विभिन्न राजनीतिक दलों के शासन काल में बन चुके हैं ।

इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि, सभी राज्यों और विशेषकर बांग्लादेश के सीमा पार से गौधन की तस्करी एक चिंताजनक समस्या बनकर उभरी है । गौधन के उपरोक्त लाभों में ये गतिविधियाँ और अधिक उपयुक्त हो जाती हैं । ये सभी गतिविधियाँ, उनके सभी कार्यकर्ता कानून, संविधान की मर्यादा में रहकर करते हैं !

स्त्रोत : जनसत्ता

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