पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रतिमा विसर्जन को लेकर हिंदू संघटनों के साथ लड़ाई में विजेता बनकर उभरती दिख रही हैं ! बंगाल के सबसे बड़े त्यौहार दुर्गा पूजा की प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर राज्य सरकार भाजपा और उसके सहयोगी संघटनों के निशाने पर थी । ममता ने दूर्गा पूजा समितियों से मुहर्रम के पवित्र महीने के १०वें दिन १ अक्टूबर यानी विजयादशमी के अगले दिन प्रतिमाओं का विसर्जन न करने को कहा था ।
शुक्रवार की सुबह तक बंगाल पुलिस को सामुदायिक दुर्गा पूजा आयोजकों की ओर से प्रतिमा विसर्जन को लेकर कोई आवेदन नहीं मिला । बता दें कि, बंगाल में १ अक्टूबर को प्रतिमा विसर्जन के लिए पुलिस की अनुमति लेनी थी । इसी दिन मुस्लिम समुदाय के लोग इमाम हुसैन की शहादत का शोक मनाएंगे ।
नवरात्र शुरू होते ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने १ अक्टूबर को प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाने की घोषणा की थी, जिसके बाद भाजपा और उसके संघटनों ने ममता पर अल्पसंख्यक समुदाय के तुष्टीकरण का आरोप लगाया ।
कोलकाता उच्च न्यायालय की एक बेंच ने ममता सरकार के इस निर्णय पर स्टे लगा दिया और कहा कि, अगर पुलिस को लगता है कि, प्रतिमा विसर्जन से कानून और व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगड़ती है, तो विसर्जन होना चाहिए । न्यायालय ने पुलिस को मुहर्रम के जुलूस और प्रतिमा विसर्जन के लिए अलग-अलग रास्ते तलाशने को कहा था ।
न्यायालय में मात खाने के बाद राज्य सरकार ने पूजा आयोजकों से प्रतिमा विसर्जन के लिए पुलिस के पास समय रहते एडवांस में आवेदन करने को कहा । राज्य के एडिशन डायरेक्टर जनरल (लॉ एंड ऑर्डर) अनुज शर्मा ने बताया कि, १ अक्टूबर को प्रतिमा विसर्जन के लिए पूजा आयोजक की आेर से कोई आवेदन नहीं आया है । उन्होंने कहा कि, सभी जिलों को मिलाकर २५ हजार पूजा कम्युनिटी हैं और अब तक हमें एक भी आवेदन नहीं मिला है !
कोलकाता पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने इस बात को खारिज किया कि, आखिरी समय में कोई आवेदन मिल सकता है । अधिकारी ने कहा कि, अगर किसी तरह का कोई आवेदन मिलता है, तो उस पर न्यायालय के आदेशानुसार कार्रवाई होगी ।
स्त्रोत : आज तक