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मणिपुर में मृत र्इसार्इ महिला अलग पंथ की होने के कारण शव का दफन करने से इनकार

र्इसार्इयों की धार्मिक असहिष्णुता ! इस घटना का समाचार मीडिया ने दिखाया नही है यह बात ध्यान में ले ! एेसी घटना किसी गांव में हिन्दुआेंद्वारा होती तो सेक्युलर मीडियाने उसे Breaking News बनाकर पुरे विश्व में दिखाया होता !

इंफाल : मणिपुर राज्य के उख्रुल जिले में लीन्गांग्चींग की एक आदिवासी महिला का ७ अगस्त को मृत्यु हुआ । यह महिला र्इसार्इ पंथ के कॅथॉलिक पंथ की होने के कारण एवं लीन्गांग्चींग गांव की बहुसंख्य जनसंख्या बॅप्टीस्ट पंथ की होने के कारण इस बुज़ुर्ग महिला का दफन गांव की दफनभुमी में ना करने देने की घटना सामने आर्इ है । इस विवाद के चलते महिला का मृत शव १५ दिन तक कॅथॉलिक चर्च में पडा रहा ।

बर्ष २०१० तक लीन्गांग्चींग गांव के १०० प्रतिशत जनसंंख्या बॅप्टीस्ट पंथ को माननेवाली थी । परंतु उसके बाद कॅथॉलिक पंथ के कुछ पादरी गांव में आए तथा उन्होने उनके पंथ का प्रचार करना आरंभ किया । उस समय वहां के ३ परिवारों ने कॅथॉलिक पंथ अपनाया । यह बात गांव के बाप्टीस्ट र्इसार्इयों को रास नहीं आर्इ आैर उन्होने तीनो परिवारों का बहिष्कार किया । इसके चलते इन परिवाराें के बुजुर्ग महिला का दफन नहीं हुआ । इस प्रकरण में कुछ प्रसारमाध्यमों ने गांव के प्रमुख का साक्षात्कार लिया । साक्षात्कार में प्रमुख ने यह घटना धर्मिक असहिष्णुता के कारण हुर्इ है इस बात को नही माना । उनके अनुसार, इस परिवार को कुछ वर्ष पहले गांव से निकाल दिया था आैर इसी के चलते पंचायत ने उनका दफन इस गाव की दफनभुमी में करने से मना किया । परंतु पीडित महिला के परिवार ने यह दावा अमान्य किया है ।

पूर्वोत्तर भारत में र्इसार्इ मिशनरीद्वारा हिन्दुआें का विविध माध्यम से धर्मांतरण किया है । फलस्वरूप कुछ दशकपुर्व जहां र्इसार्इयों का अस्तित्व नही था, परंतु आज वहां ९० से १०० प्रतिशत र्इसार्इ हो चुके है, परंतु अब र्इसार्इयों का अमानवीय जातीवाद सामने आ रहा है । जातीवाद को लेकर हिन्दू धर्म की आलोचना करनेवाले र्इसार्इ मिशनरी तथा अन्य तथाकथित विचारवंत इसपर कुछ कहेंगे ?

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