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आनेवाले समय में छत्रपति शिवाजी महाराज की भांति क्षात्रतेज एवं ब्राह्मतेज के आधार पर धर्मकार्य करने की आवश्यकता ! – श्री. किरण दुसे

आनेवाले समय में छत्रपति शिवाजी महाराज की भांति क्षात्रतेज एवं ब्राह्मतेज के आधार पर धर्मकार्य करने की आवश्यकता ! – श्री. किरण दुसे, हिन्दू जनजागृति समिति

धर्माभिमानी एवं धारकारियों को संबोधित करते हुए श्री. किरण दुसे

कोल्हापुर : छत्रपति शिवाजी महाराज ने ५ पातशाहियों के विरोध में मावलों का संघटन कर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की। इसके लिए उनको माता श्री तुळजाभवानी की कृपा एवं समर्थ रामदास स्वामी एवं संत तुकाराम महाराज जैसे संतों के आशीर्वाद प्राप्त हुए। उसी प्रकार से आज की राष्ट्र एवं धर्म की दुःस्थिति में परिवर्तन लाने हेतु आनेवाले समय में हमने यदि क्षात्रतेज को ब्राह्मतेज से जोडा, तो हम शीघ्र ही हिन्दू राष्ट्र का भगवा प्रातःकाल देख सकेंगे ! इसके लिए सभी को अपनी कुलदेवी की उपासना करनी चाहिए। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. किरण दुसे ने ऐसा प्रतिपादित किया।

कबनूर (इचलकरंजी, जिला कोल्हापुर) में श्रीशिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान की ओर से नवरात्रोत्सव में श्री दुर्गामाता दौड के आयोजन के अवसर पर वे ऐसा बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के धारकरी और कबनुर स्थित सभी शिवप्रेमियोंसहित ५०० से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।

इस दुर्गामाता दौड का प्रारंभ झेंडा चौक पर स्थित हनुमान मंदिर से किया गया। यहां पर श्री. अभिजीत कोल्हे एवं श्री. सागर परीट के हाथों ध्वज का पूजन किया गया। इस समय प्रेरणामंत्र भी गाया गया। झेंडा चौक से निकली हुई इस दौड का समापन लिगाडे सभागार में किया गया। यहां श्री. किरण दुसे साहित, श्री. प्रीतम पवार, साथ ही शिवप्रतिष्ठान के श्री. अनिल साळुंखे एवं श्री. विवेक स्वामी ने अपने मनोगत व्यक्त किया। अंत में ध्येयमंत्र गा कर ध्वज को नीचे उतारा गया।

क्षणचित्र

१. श्री दुर्गामाता दौड के पूरे मार्ग पर रंगोलिया निकाली गई थीं, साथ ही अनेक स्थानोंपर फूलों के गालिचे सिद्ध किए गए थे !

२. यह दौड जिस मार्ग से जा रही थी, उस मार्ग पर आनेवाले सभी नवरात्रोत्सव मंडलों में श्री दुर्गादेवी एवं छत्रपति शिवाजी महाराज की सामूहिक आरती गायी जा रही थी !

३. दौड के मार्ग के विविध स्थानोंपर सुहागन महिलाएं धारकरियों के पैरोंपर पानी डालकर ध्वज का पूजन कर रही थीं !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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