बरेली : आला हजरत दर्गा के मौलाना मोहम्मद सलीम नुरी ने कहां कि, महिला मेहरम (करीबी पुरुष रक्त संबंध) के बिना हज करने नहीं जा सकती हैं। बिना महिला का अकेले हज जाना शरिया कानून के विरोध मे हैं, एवं एेसा करना पाप हैं । सुन्नी बरेलवी धर्मगुरु ने इस कदम को गैर इस्लामिक करार दिया है । अकेली महिला को हज जाने की अनुमति देनेवाले केंद्र सरकार पर भी मौलवी ने इस समय टीका की ।
दरअसल केंद्र सरकार ने शनिवार को नई हज नीति पेश की थी, जिसमें उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए सब्सिडी की व्यवस्था समाप्त करने और ४५ वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को बिना मेहरम के हज पर जाने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया ।
इसके तहत अब ४५ वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं बिना मेहरम के हज पर जा सकेंगी, हालांकि वे चार महिलाओं के समूह में जा सकेंगी । मेहरम के लिए कोटा २०० से बढ़ाकर ५०० किए जाने का भी प्रस्ताव है। मेहरम उसे कहते हैं जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता । मसलन, पिता, सगा भाई, बेटा और पौत्र-नवासा मेहरम हो सकते हैं।
मौलाना मोहम्मद सलीम नुरी के मुस्लिम महिलाआें पर जारी इस बयान पर तथाकथित मानवधिकार कार्यकर्ता एवं सेक्युलर मीडिया चुप क्याें ? हिन्दू महिलाआें को मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए Publicity Stunt करनेवाली तृप्ति देसार्इ तथा उनकी भूमाता बिग्रेड जैसी कार्यकर्ता अब मुस्लिम महिलाआें पर जारी इस बयान का विरोध करने की हिम्मत दिखाएेंगी ?