वाराणसी : अमर उजाला में आए वार्ता के अनुसार, डेनमार्क के सेवानिवृत्त शिक्षक पेर मंगलवार को सनातन धर्म का हिस्सा बन गए। धर्म परिवर्तन के साथ ही उनका नए सिरे से नामकरण किया गया। वह पेर से परमानंद नाथ हो गए। संस्कृत और तंत्र के विद्वान प्रो. वागीश शास्त्री से उन्होंने शिवाला स्थित वाग्योग चेतना पीठम में मां काली की तांत्रिक दीक्षा प्राप्त करने के साथ सनातन धर्म स्वीकार कर लिया।
दीक्षा ग्रहण संस्कार के दौरान पेर अपनी पत्नी और कुछ मित्रों के साथ पहुंचे। भगवान गणेश, अंबिका पूजन, नवग्रह, षोडश मातृका और गुरु पूजन के बाद पेर को दीक्षा दी गई। इसके बाद हवन किया गया। पेर ने बताया कि, तीन वर्षों से वह मानसिक रूप से परेशान थे। इलाज के बाद भी समस्या बढ़ती गई। इसी दौरान वह काशी आए प्रो. वागीश शास्त्री के सानिध्य में १० दिनों तक कुंडलिनी जागृत करने का अभ्यास किया। इससे उन्हें मानसिक शांति मिली और दवाइयां भी छूट गईं। इसके बाद तंत्र दीक्षा ग्रहण करने की इच्छा जताई, जिसे प्रो. शास्त्री ने स्वीकार कर लिया। मंत्र दीक्षा के साथ उन्होंने सनातन धर्म भी ग्रहण कर लिया। प्रो. शास्त्री अब तक १२०० से अधिक लोगों को तंत्र दीक्षा प्रदान कर चुके हैं।
शक्ति उपासना से मिलती है शांति : प्रो. शास्त्री
प्रो. वागीश ने बताया कि, पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। ध्यान, प्राणायाम और कुंडलिनी जागृत होने से ऐसे लोगों को राहत मिलती है। जिस देवी-देवता में उनकी आस्था होती है, उनकी तंत्र दीक्षा उन्हें दी जाती है।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है, जैसे कि :
१. आज कर्इ विदेशी नागरिक हिन्दू धर्म स्वयं अपना रहे है, तो कर्इ विदेशियों ने हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण तथा साधना करना भी प्रारंभ किया है । परंतु महान हिन्दू धर्म को छोडकर आज भारत में ही कर्इ हिन्दू एैसे है जो प्रलोभन, प्यार के झूठे जाल में पडकर हिन्दू धर्म छोड अन्य पंथों को अपना रहे है ।
२. यदि हम अन्य पंथों की बात करते है, तो सभी को पता है कि, र्इसार्इ मिशनरी कर्इ बार हिन्दू देवताआेंपर टीका करना, प्रलोभन दिखाना आदि माध्यमों से हिन्दूआें का धर्मांतरण करते है, तो धर्मांध जिहादी हिन्दूआें को लव जिहाद, जबरन धर्मांतरण करने पर मजबूर करना आदि माध्मयों से हिन्दूआें का धर्मांतरण करते है । परंतु हिन्दू धर्म को एैसे किसी भी गलत तरीकों की आवश्यकता नहीं पडती, क्योंकि हिन्दू धर्म का शास्त्र ही इतना स्वयंपूर्ण है की जो कोर्इ भी उसका आचरण करता है, वो स्वयं ही हिन्दू धर्म का पालन करने लगता है ।
३. आज हिन्दू ही अपने धर्म पर टीका करते है, उसका मजाक उडाते है तथा कर्इ बार अपना धर्म छोडकर अन्य पंथों को अपनाते है । इसक मूल कारण है धर्मशिक्षा का अभाव । धर्मशिक्षा ना होने का कारण ही हिन्दू अपने धर्म की महानता समझ नहीं पाते ।
आप क्या कर सकते है ?
१. आप स्वयं भी धर्मशिक्षा ले, तथा अन्यों को भी इस विषय में जागृत कर धर्मशिक्षा लेने हेतु प्रबोधन करे । हिन्दू जनजागृति समिति के वेबसार्इट पर धर्मशिक्षा के विषय में जानकारी आप प्राप्त कर सकते है : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism
२. कोर्इ हमारे धर्म, देवता आदि पर टीका करता है, तो उसका योग्य प्रकार से खंडण करने का प्रयास करे ।
३. हिन्दू जनजागृति समिति सभी को धर्मशिक्षा मिलने हेतु धर्मशिक्षा वर्ग का आयोजन करती है । यदि आप अपने क्षेत्र में धर्मशिक्षा वर्ग का आयोजन करना चाहते है, ताे हमें [email protected] पर संपर्क करे ।