राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक ऐसे रोहिंग्या मुसलमानों के साथ ही उनको भारत में शरण देनेवालों के विरोध में भी कार्रवाई करें ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
रामनाथी (फोंडा, गोवा) : म्यानमार स्थित रखाईन प्रांत में विभाजनवादी कार्रवाई करनेवाले रोहिंग्या मुसलमानों ने अभीतक वहां के ७५ से भी अधिक पुलिसकर्मियोंपर प्राणघातक आक्रमण किए हैं ! म्यानमार शासनद्वारा कार्रवाई का आरंभ किए जानेपर यही रोहिंग्या मुसलमान अनेक गैर-मुस्लिम देशों में घुसपैठ कर रहे हैं। एक इस्लामिक संकेतस्थल पर प्रकाशित समाचार के अनुसार, आज के दिन भारत में ४० सहस्र मुसलमान रह रहे हैं। उनके पास भारतीय आधारकार्ड और पैनकार्ड भी मिला है। जम्मू जैसे हिन्दूबहुसंख्याक क्षेत्र में रहकर ये लोग धर्मांधों की भारतविरोधी गतिविधियों में सम्मिलित हो रहे हैं !
इन रोहिंग्याओं में पहले से ही विघटनकारी वृत्ति होने के कारण वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत घातक हैं। अतः रोहिंग्या मुसलमानों के साथ ही उनको अवैधरूप से शरण देनेवालों के विरोध में भी कार्रवाई करना आवश्यक है। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने स्पष्टता के साथ ऐसा प्रतिपादित किया। वे यहां के सनातन आश्रम में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘वक्ता प्रशिक्षण कार्यशाला’ में बोल रहे थे।
१० अक्तूबर को प्रारंभ हुई इस ३ दिवसीय कार्यशाला का १२ अक्तूबर को भावपूर्ण वातावरण में समापन हुआ !
इस कार्यशाला में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने एक अछे वक्ता को माध्यमों के सामने हिन्दू धर्म का पक्ष रखते हुए कौनसी बातों का ध्यान रखना चाहिए ? इसकी जानकारी दी, साथ ही भारत सरकार के पूर्व सांस्कृतिक सलाहकार प्रा. रामेश्वर मिश्र एवं भोपाल के धर्मपाल शोधपीठ की अध्यक्षा तथा अर्थशास्त्र की अभ्यासिका प्रा. कुसुमलता केडिया ने भी उपस्थित शिविरार्थियों को हिन्दू धर्मशास्त्र, वैश्विक राजनीति आदि विषयों पर विस्तृत मार्गदर्शन किया।
इस समय संगणकीय चित्र एवं लिंक की सहायता से विषय को स्पष्ट करते हुए श्री. रमेश शिंदे ने आगे कहा, ‘‘कुछ साक्षात्कारों से रोहिंग्या मुसलमानों की विगत ११ वर्षों से भारत में रहने की बात सामने आयी है। जिस जम्मू-कश्मीर राज्य में धारा ३७० लागू होने के कारण भारत के अन्य प्रांत के नागरिक वहां नहीं रह सकते; तो ये रोहिंग्या मुसलमान वहां कैसे रह सकते हैं ? वहां का शासन रोहिंग्या मुसलमानों की ठंड से रक्षा करने हेतु टीन से बने घरों का निर्माण कर रहा है; परंतु धर्मांधों के अत्याचारों के कारण कश्मीर से विस्थापित होने पर विवश बने कश्मीरी हिन्दुओं को कपडे से बने तंबुओं में अपना जीवन व्यतित करना पड रहा है !
आप के पूर्व नेता अधिवक्ता प्रशांत भूषण सहित अनेक ‘मुसलमान प्रेमी’ रोहिंग्या मुसलमानों के (कथित) मानवाधिकारों की रक्षा करने हेतु भारत सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। वास्तव में ये रोहिंग्या मुसलमान भारत के आधिकारिक निवासी न होते हुए भी ये ‘मुसलमान प्रेमी’ किस आधार पर ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं ? उनको यदि यह मांग करनी ही हो, तो वो भारत में नहीं, अपितु मान्यमार जा कर वहां करें !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात