वर्धा (महाराष्ट्र) में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
वर्धा : म्यानमार से विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत में सर्वत्र घुसपैठ की है ! उनकी घुसपैठ के कारण देश के सामने आर्थिक एवं सुरक्षा की बडी समस्या उत्पन्न हुई है। अतः इसके कारण हम रोहिंग्या मुसलमानों को देश में शरण नहीं दे सकते, ऐसी केंद्र शासनद्वारा न्यायालय में अपनी भूमिका रखी गई है। रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण न दी जाए तथा उनको देश से बाहर निकाल दिया जाए ! इस मांग को लेकर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ११ अक्तूबर को यहां के विकास भवन के सामने धरना आंदोलन चलाया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्री. पद्माकर नानोटी एवं योग वेदांत समिति की श्री. गुप्ता उपस्थित थे। यह धरना आंदोलन समाप्त होने के पश्चात अपर जिलाधिकारी श्री. संजय दैने को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने इस ज्ञापन को वरिष्ठोंतक पहुंचाने का आश्वासन दिया !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वणी में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’
वणी (जिला यवतमाळ, महाराष्ट्र) : यहां के तहसिल चौक पर ११ अक्तूबर को राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन चलाया गया । इस आंदोलन में घुसपैठी रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकाल दिया जाए, किले सिंहगड के सुधारकार्य में भ्रष्टाचार करनेवालों को कठोर दंड दिया जाए तथा बार-बार हिन्दुओं की धर्मभावनाओं को आहत कर सामाजिक शांति को भंग करनेवाले प्रा. के.एस. भगवान के विरोध में कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए, ये मांगें की गईं ।
इस अवसर पर अपना मनोगत व्यक्त करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. लहू खमणकर ने कहा कि, आतंकी रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करनेवालों के विरोध में देशद्रोह के अपराध के अंतर्गत कार्रवाई करना आवश्यक है । इस आंदोलन में श्रीमती अरुणा ठाकरे एवं श्रीमती कल्पना खामणकर ने भी विषय रखे । किले सिंहगड के सुधारकार्य में किया गया भ्रष्टाचार सामूहिक भ्रष्टाचार की घटना है तथा इसमें ठेकेदार, प्रशासनिक अधिकारियोंसहित अन्य अनेक लोगों का अंतर्भाव दिख रहा है ! जिस हाथी टंकी से २४० टन तलछट निकालने का दिखाया गया है, तो वास्तव में उस टंकी की उतनी क्षमता ही नहीं है !
इस आंदोलन में २३ धर्माभिमानियों ने सहभाग लिया । इस आंदोलन को सफल बनाने हेतु सर्वश्री संजय पांडे, अमित काळे, लोभेश्वर टेंगे एवं सुरेश ठाकरे ने प्रयास किए ।
क्षणचित्र : आंदोलन के उत्तरार्ध में बडी वर्षा होने की स्थिति उत्पन्न हुई; परंतु वर्षा नहीं हुई ! सभी ने श्रीकृष्ण की इस कृपा का अनुभव किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात