बेंगलुरु की एक महिला इंजीनियर ने अवैध गोहत्या की शिकायत करने पर माफिया द्वारा मारपीट का आरोप लगाया है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के बाहरी इलाके तलघट्टापुरा में अवैध गोहत्या की सूचना उसने पुलिस को दी थी। पीडिता की पहचान नंदिनी के रूप में हुई, उसने आरोप लगाया कि पुलिस ने गडबडी की। नंदिनी का कहना है कि जब उसने घटना की जानकारी पुलिस को दी थी तब उससे वायदा किया गया था कि अवैध गाय माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मगर ऐसा नहीं होने पर उसने खुद को ‘फंसा’ महसूस किया। नंदिनी ने कहा, ”हम उस इलाके में गए तो हमने बीफ की अवैध दुकानें देखीं। वहां १४ गायें बंधी थीं, जिनमें से दो बछ़डों को काटने के लिए पास ही एक छोटे कमरे में ले जाया जा रहा था। पशु-प्रेमी होने की वजह से हम तलघट्टापुरा के पुलिस थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। हमें विश्वास दिलाया गया था कि कार्रवाई की जा रही है और इलाके में पुलिस भेजी गई है।”
नंदिनी ने एएनआई को आगे बताया, ”जब हमें कोई अपडेट नहीं मिली तो मैं साथी शिकायतकर्ता और दो पुलिस कॉन्स्टेबल्स को लेकर अपनी कार में वहां गई। पुलिस की कोई गाडी उपलब्ध नहीं थी। वहां पहुंचने पर हमने देखा कि भीड़ इकट्ठा हुई है। जैसा हमें कहा गया था कि वहां पुलिस होगी, मगर वहां कोई नहीं था। मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी जाल में फंस गई हूं। भीड़ ने हमपर ईंटें, बोल्डर और कांच की बोतलें बरसानी शुरू कर दीं और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने लगे। यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव था।” भीड के पथराव में नंदिनी की कार भी टूट-फूट गई। (अब गाय को मारनेवाली तथा पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने वाली भीड कौनसे ‘विशेष समुदाय’ से होगी, इसका अंदाजा तो कोर्इ भी लगा ही सकता है । – संपादक, हिन्दूजागृति)
नंदिनी ने आगे कहा, ”मैंने नहीं सोचा था कि मैं जिंदा बचकर आ पाऊंगी। मिनटों में १५०-२०० लोग इकट्ठा हो गए, हमें नुकसान पहुंचाने के लिए। वहां हमें बचाने को कोई पुलिस नहीं थी। इस तरह सिर्फ अपराधी ही व्यवहार कर सकते हैं, माफिया के पास ही इतनी भीड इतनी जल्दी इकट्ठा करने की कूव्वत होती है। मुझे पूरी तरह लगता है कि इसमें पुलिस भी शामिल है क्योंकि अगर वह जरा भी ईमानदार होती तो एक महिला को इतना खतरा मोल लेने नहीं देती।”
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है :
१. अपने जान की पर्वा ना करते हुए गोरक्षा हेतु कार्य करनेवाली नंदिनी जी तथा उनकी दोस्त का हम अभिनंदन करते है । उनके जैसे रणरागिणीयों की आज देश तथा धर्म को आवश्यकता है ।
२. कुछ दिन पूर्व बंगाल सीमापर गो तस्करों ने एक बीएसएफ जवान की हत्या कर दी थी । इस बार भी गो तस्करों ने नंदिनी, उनकी साथी तथा पुलिस पर जानलेवा आक्रमण किया । बहुत सारी घटनाआें में यह बात सामने आर्इ है कि, गो तस्कर बिना किसी डर के गोरक्षक तथा पुलिस पर हमला कर देते है । देश के कर्इ राज्यों में गोहत्या प्रतिबंधक कानून होते हुए भी इस प्रकार की घटनाए होना यह पुलिस तथा प्रशासन के लिए क्या शर्मनाक नहीं है ?
३. जब काेर्इ अखलाक, जुनैद या पहलु खान मारा जाता है, तो उसपर बवाल मचानेवाली मिडीया तथा सेक्युलर कार्यकर्ता अब इस घटना पर चुप क्यों है ? ‘गोरक्षकों के हिंसा पर लगाम लगाने’ की बात करनेवाले राजनेता अब इस घटना पर यह क्यों नहीं कहते की ‘गो तस्करों पर भी लगाम लगाना आवश्यक है ।’ लगता है, इनकी अल्पसंख्यंक तुष्टीकरण के नीति के अनुसार गो तस्करों के विरूद्ध बात करना अनुचित है ।
४. हम स्वयं भी गोरक्षा नहीं करेंगे तथा अन्यों को भी करने नहीं देंगे, इस प्रकार की नीति अपनाने वालों के विरूद्ध अब हिन्दूआें ने संगठित होकर इसका विरोध कर गोरक्षा का कार्य आगे बढाने हेतु प्रयास करना यही समय की आवश्यकता है ।