मध्यप्रदेश में भाजप शासन होते हुए, ऐसी घटनाएं होना हिन्दूआें को अपेक्षित नहीं हैं ।
गरोठ : यहां अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन समारोहपर धर्मांधोंद्वारा मशीद और घरों से षड्यंत्रपूर्वक पथराव किया गया । ८.३० बजे होनेवाली अजान इस दिन नियोजनपूर्वक ८.४५ बजे ली गयी । धर्मांधों ने विसर्जन समारोह में उपस्थित पुलिस के सामने ही झांकियों में जाकर मुठभेड प्रारंभ की । परंतु इस समय उपस्थित पुलिसों ने ना इन्हे रोका और ना ही उनपर कारवाई की । दुसरी और इस प्रकरण में ३१ हिन्दूआेंपर अपराध प्रविष्ट कर ४ जणों को बंदी बनाया गया तथा श्री. सुभाष जोशी इन्हे रासुका लगाकर कारागृह में बंद कर दिया ।
हिन्दूआेंपर हुए इस अन्याय का गाव के हिन्दू संगठन और व्यापारी संगठनों ने गाव बंद रखने के साथ चक्का जाम करके संघटितरूप से विरोध किया । (हिन्दूआेंपर हुए अन्याय के विरोध में संघटित हुए गरोठवासियों का अभिनंदन ! इस प्रकार के कृत्य करने की धर्मांधों की हिंमत भी ना हो, इस प्रकार का हिन्दूआेंका संघटन बनाना, यह समय की आवश्यकता है । – सम्पादक, हिन्दुजागृति) इस दौरान राज्यशासन द्वारा रासुका लगाने के विषय में कोई तथ्य प्रस्तुत न होने के कारण ९ अक्तूबर को न्यायालय ने श्री. सुभाष जोशी को रासुका हटाकर लगभग १ महिने बाद जमानत पर मुक्त किया । (कानून के रक्षक नहीं भक्षक ! रासुका का उपयोग कर निरपराध हिन्दू को १ महिने कारागृह में बंद करनेवाले पुलीस प्रशासन को न्यायालय के इस निर्णयपर क्या कहना है ? इस विषय में कानून का गलत उपयोग करनेवाले पुलीस के विषय में राज्यशासन क्या कार्यवाही करेगा ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति) इसके साथ अन्य २ हिन्दूआें की जमानत हुई ।
इस विषय में हिन्दूआेंद्वारा मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में लिखा है कि, यह एक गहरा षड्यंत्र है । जो हिन्दू घटनास्थलपर नहीं थे, उनके भी नाम धर्मांधों ने शिकायत में दिए और पुलीस ने उन सभीपर बिना सबूत एफआयआर भी प्रविष्ट की । इस प्रकरण में सारा दोष धर्मांधों का और पुलीस प्रशासन का है । शासन दोषीपर त्वरित कठोर कार्यवाही करें और निरपराध हिन्दूआें पर लगाए गए सारे अारोप पीछे ले, अन्यथा हिन्दू समाज अपना आंदोलन और तीव्र करेगा ।