बेंगलुरु – बेंगलुरु के येलाहांका क्षेत्र में मंगलवार को अवैध बूचड़खानों की जांच के लिए गए कोर्ट कमिश्नरों, वकीलों, पुलिस और गोरक्षक एनजीओ की टीम पर भीड ने आक्रमण बोल दिया। गो ज्ञान फाउंडेशन की सदस्य कविता जैन के अनुसार, जांच दल के सदस्यों के साथ धक्कामुक्की हुई, उनका पीछा किया गया और आक्रमण भी किया गया। भीड ने पुलिस की गाड़ियों के शीशे तक तोड डाले। पुलिस ने इस सिलसिले में १३ धर्मांध लोगों को गिरफ्तार किया है।
नवभारत टाइम्स के समाचार के अनुसार, टीम पर आक्रमण उस वक्त हुआ, जब उसे डोडा बेट्टाहल्ली में एक अवैध बूचड़खाना दिखा। इसे एसएस गराज के भीतर चलाया जा रहा था। इसमें १५ गायें और गोवंश के अन्य पशु थे। एक जगह खुले स्थान पर ऐसे पशुओं को बांधकर भी रखा गया था। हमने बूचडखाने से उस जगह को खुलवाने को कहा, तो थोडी देर में करीब ढाई सौ लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। किसी तरह वे पुलिस की गाडियों तक पहुंचे। इस बारे में यलाहांका पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है :
१. इस घटना से पुन: एक बार धर्मांध गोतस्करों द्वारा हो रही हिंसा सामने आर्इ है । किंतु कोर्इ मानवाधिकारवाले या मिडिया इस विषय में चिंता व्यक्त नहीं करते । किंतु यदि गोहत्या का विरोध किया गया तो तुरंत ये लोग ‘गोरक्षकों की हिंसा’ के नाम से बवाल खडा करते है । इसमें यदि कोर्इ अखलाक, पहलू खान या जुनैद हो तो मिडिया के लिए ये ब्रेकिंग न्यूज होती है, किंतु मरनेवाला या जिसपर आक्रमण हुआ वो व्यक्ती यदि हिन्दू है तो मिडिया मुंह में दही जमा कर बैठती है ।
२. पिछले सप्ताह भी गोतस्करोंद्वारा आक्रमण की दो घटनाएं हुर्इ है । त्रिपुरा में BSF अधिकारी पर २५ गोतस्करों ने हमला,किया था।
वही दुसरी घटना में गोहत्या रोकने की कोशिश कर रही बेंगलुरु की महिला इंजीनियर पर जिहादी भीड ने हमला किया था ।
३. जो लोग गोरक्षकों को गुंडा कहते है, अब वो गोतस्करों द्वारा हो रही इस हिंसा पर उन्हें कुछ भी नहीं कहते ।
४. हम स्वयं भी गोरक्षा नहीं करेंगे तथा अन्यों को भी करने नहीं देंगे, इस प्रकार की नीति अपनाने वालों के विरूद्ध अब हिन्दूआें ने संगठित होकर इसका विरोध कर गोरक्षा का कार्य आगे बढाने हेतु प्रयास करना यही समय की आवश्यकता है ।