झारखंड के गुमला जेल में हत्या के मामले में बंद एक कैदी को मुकदमे से बरी कराने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का मामला सामने आया है।
घाटो बगीचा के रहने वाले हत्या के आरोपी कैदी छोटू भुइयां ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर कहा है कि जेल में अक्सर आनेवाले एक मौलाना ने उसे प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करा दिया था, लेकिन अब वह खुद को ठगा सा महसूस करते हुए अपने धर्म में लौटना चाहता है।
सने पत्र में लिखा है कि, जेल से बाहर निकलने के लिए घर वालों तथा जेल में बाहर से आने वाले एक धर्मगुरु ने धर्म परिवर्तन के लिए उस पर दबाव बनाया। साथ ही जेल से बाहर निकलने में मदद करने के लिए धर्म परिवर्तन की शर्त रखी।
मामला प्रकाश में आने के बाद उपायुक्त श्रवण साय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीओ और एसडीपीओ को मामले की जांच कर २४ घंटे के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
परंतु यहां पर एक बात समझ नहीं आती की किसी कैदी इस प्रकार कोर्इ धर्मांतरण कर ही कैसे सकता है ? यह जेल प्रशासन के अकार्यक्षमता का ही परिणाम है ।
साथ ही इस घटना से धर्मांतरण प्रतिबन्ध कानून को लागू करने की अनिवार्यता ध्यान में आती है । सरकार ने अब यह कानून शीघ्र ही लागू कर धर्म परिवर्तन करनेवालों को सक्त शिक्षा का प्रावधान करना चाहिए ।
इस घटना से यह बात भी सामने आती है किस प्रकार मौलाना या मिशनरी लोगों को प्रलोभन दिखाकर धर्म परिवर्तन कराते है । क्या यहीं बात उन्हें उनके धर्मगुरूआेंद्वारा सिखार्इ जाती है ?
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