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मथुरा में गोवर्धन पूजा करने पहुंचे हजारों श्रद्धालु, विदेशीयों का भी उमडा जनसैलाब !

मथुरा में शुक्रवार को गोवर्धन धाम में प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा के तहत गोवर्धन पर्वत की विधि विधान से की गई पूजा अर्चना की गई। जहां देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु ढोल मजीरे के साथ नाचकर परिक्रमा करते हुए छप्पन भोग लगा रहे है।

ब्रज की गोपी-गोपिकाओं की भेषभूषा तो हाथ में झांझ-मजीरे और मुख पर बोल हरि बोल के नाम। ऐसी भक्ति का नजारा गोवर्धन की परिक्रमा में देशी-विदेशी भक्तों के बीच देखने को मिला। गोवर्धन पूजा महोत्सव में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है।

ब्राजील से आई विदेशी भक्त तरुणी गोपी दासी ने बताया कि पांच हजार साल पहले श्रीकृष्ण ने गिरिराज जी की पूजा कराई थी अब वह भी यहां पूजा करने आई हैं। आस्ट्रेलिया से आई विसाखा दासी ने तो बताया कि गिरिराज जी में जो आनंद की अनुभूति होती है वह पूरी दुनिया में नहीं है।

दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को अन्नकूट गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है कि आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा को बंद कराकर उसकी जगह गोवर्धन पूजा की शुरुआत की थी।

इससे गुस्साए इंद्रदेव ने तेज बारिश करा दी। बारिश के पानी से बचने के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे, किंतु उन्हें छुपने के लिए कोई जगह नहीं मिली। इसके बाद श्रीकृष्ण जी ने अपनी छोटी उंगली (कनिष्ठ उंगली) पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पर्वत की शरण में रहे।

गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इंद्र के कोप से बचने के लिए गोकुल वासियों ने जब गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली, तब उन्होंने 56 भोग बनाकर श्री कृष्ण को भोग लगाया था। इससे खुश होकर श्री कृष्ण ने आशीर्वाद दिया और कहा कि इंद्र से डरने की जरूरत नहीं है, वह गोकुल वासियों की हमेशा रक्षा करेंगे।

इसके बाद सातवें दिन श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियों से कहा कि अब हर साल गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया जाएगा।

इस समाचार से यह ध्यान में आता है कि,

१. एक आेर हिन्दू धर्म में मनाए जानेवाले लगभग सभी त्यौहार, उत्सवों के प्रति विदेशी लोगों में विश्वास, सन्मान एवं आस्था बढ रही है । तो दूसरी अोर हिन्दू स्वयं अपने धर्म में मनाए जानेवाले त्यौहारों का मजाक उडाते हैं । यह लोग स्वयं को ‘फारवर्ड’ कहलाने के लिए पूजा-अर्चा करना यह सब पिछडापन हैं, एैसा समझते है ।

२. आज हिन्दुअों को धर्मशिक्षा न मिलने के कारण उनकी यह स्थिती हो गर्इ है । वही विदेशी लोग हिन्दू धर्म का अभ्यास कर उसे आचरण में लाकर अपना जीवन आनंदमय बनाने का प्रयास कर रहे है ।

३. हिन्दुआें धर्मशिक्षा लेकर अपने महान धर्म के प्रति गर्व महसुस करें ! आगे दिए गए लिंक पर धर्मशिक्षा की जानकारी पाएं तथा यह जानकारी शेअर करें : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism

 

 

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