फाल्गुन शुद्ध ७, कलियुग वर्ष ५११३
‘ठाणे वार्ता’ समाचार प्रणालपर हिंदु जनजागृति समितिके समन्वयक शिवाजी वटकरका साक्षात्कार
प्रस्तावित (अंध)श्रद्धा निर्मूलन विधेयक !
ठाणे (महाराष्ट्र), १३ मार्च (वृत्तसंस्था) – प्रत्येक रविवारको ठाणे जनपदसे प्रसारित होनेवाले ‘ठाणे वार्ता’ समाचार प्रणालपर नागरिकोंसे सीधे प्रश्नोत्तरका ‘नमस्कार मंडली’ नामक कार्यक्रमका आयोजन किया जाता है । इस रविवारको ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन विधेयक हिंदुओंके विरोधमें कैसे?’, इस विषयमें चर्चाकरने हेतु हिंदु जनजागृति समितिके ठाणे, मुंबई एवं रायगढ जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरको आमंत्रित किया गयाथा । इस समय एक जिज्ञासूद्वारा प्रश्न पूछा गया कि, ‘बंगाली बाबाओं द्वारा हो रही धोखा धडीकी घटनाएं रोकनेके लिए कानूनहुआ तो इस कानूनको विरोध किसलिए ?’ इस प्रश्नके उत्तरमें बोलते समय श्री. वटकरने कहा कि, ‘बंगाली बाबाओंके मायावी चमत्कार तथा उन चमत्कारोंके कारण भविष्यमें हानेवाले अंधश्रद्धाओंके संभाव्य पीडित, आदि संभाव्य घटनाओंको रोकनेके लिए वर्तमान समयमें प्रचलित कानून पर्याप्त हैं ।
हिंदु जनजागृति समितिद्वारा ये अनुचित घटनाएं रोकने हेतु पिछले अनेक वर्षोंसे प्रबोधन किया जा रहा है; परंतु कुछ तथाकथित विज्ञानवादी प्रस्तावित(अंध)श्रद्धा निर्मूलन कानूनके माध्यमसे बंगाली बाबाओंपर नियंत्रण करनेकी आडमें हिंदुओंकी प्रथाओंतथा परंपरा ओंपर प्रतिबंध लगानेका प्रयास कर रहे हैं । इस समय हिंदु जनजागृति समितिके ठाणे, मुंबई एवं रायगढ विभागके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने प्रतिपादित किया कि, ‘यह कानून लानेवाले यदि वास्तवमें अंधश्रद्धासे पीडितों की सहायता करनेकी इच्छा रखते हैं, तो केवल कानून बनाकर यह साध्य नहीं हो सकता, अपितु उसके लिए व्यापक स्तरपर प्रबोधन करनेकी आवश्यकता है ।’ श्री वटकरद्वारा अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिको चुनौती दी गई कि, ‘वर्तमान समयके कानून सक्षम नही है ऐसा कहकर नए कानून करनेकी इच्छा रखनेवाले यह बताएं कि, अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिद्वारा अबतक कितने बंगाली बाबा ओंपर कार्यवाही की गई है ।’
प्रस्तावित विधेयकके विरोधमें हिंदु जनजागृति समितिद्वारा हो रहे आंदोलनको समर्थन देनेका श्री.वटकरने लोगोंसे आवाहन किया तथा यह भी स्पष्ट किया कि,कानून निरस्त होनेतक समितिका आंदोलन जारी रहेगा । इस कार्यक्रमके अंतमें सूत्र संचालक श्री. भास्कर पळणीटकरने कहा,‘‘जहां श्रद्धा समाप्त होती है, वहां अंधश्रद्धा आरंभ होती है; परंतुअपने संतोंने कर्मोंको इतने श्रद्धापूर्वक करनेको कहा है कि, उसश्रद्धाके बलपर ही आज हिंदु संस्कृतिनुसार आचरण करनेवाला व्यक्ति जीवन व्यतीत कर रहा है । इस स्पष्टीकरणसे ऐसा लगताहै कि, श्रद्धापर आंच लानेवाला कानून लाया गया तो सबकाविरोध तो होगा ही और होना भी चाहिए । इस कानूनके संदर्भमें सभी नागरिक अपनी सूचनाएं शासन एवं हिंदु जनजागृति समितिकी ओर भेजे, जिससे समितिके कार्यको समर्थन प्राप्त होगा।’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात