वाराणसी : यहां हिन्दू जनजागृति समिती द्वारा आयोजित पत्रकार परिषद में मालेगांव ब्लास्ट प्रकरण में जमानत मिलनेवाले सुधाकर चतुर्वेदी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर की गई कार्रवाई पर कई सवाल उठाए हैं। सुधाकर ने बताया कि, मुंबई एंटी टेरर स्कॉयड (एटीएस) ने अपनी जांच में ऐसे हथकंडे अपनाए थे जिनसे जाहिर हो रहा था कि, वे बेगुनाह लोगों को इस केस में घसीटना चाहती है। उनके अनुसार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा सांसद और राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के प्रमुख मोहन भागवत पर एटीएस नजर बनी हुई थी।
९ साल बाल जमानत पर बाहर आए सुधाकर जी ने और भी कई खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि, हिन्दू कार्यकर्ताओं को निशाने पर लेकर तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार महाराष्ट्र में अपने वोट बैंक की पैठ बना रही थी।
सुधाकर जी से कई बार योगी जी और उनके संगठन हिंदू यूवा वाहिनी के बारे में पूछा गया। उनके सवालों से ऐसा लगता था कि, वे आदित्यनाथ जी को ब्लास्ट का मुख्य निशाना मानते हैं। इतना ही नहीं एटीएस यह भी जानने की कोशिश कर रही थी कि उनके आरएसएस नेताओं से कैसे संबंध हैं ? यहां तक की जांच के दौरान सुधाकर को थर्ड डिग्री का सामना भी करना पड़ा था।
झूठे आरोपों में फंसाया गया
सुधाकर जी ने बताया कि, उन्हें नासिक में अपने घर से जबरन उठाया गया और लंबी पूछताछ के बाद भोपाल के लिए रवाना कर दिया था। उन्हें यहां के एक प्राइवेट सेवन सीटर एयरक्राफ्ट के जरिए लाया गया। सुधाकर का आरोप है कि, एटीएस जब उसे भोपाल पूछताछ के लिए लेकर जा रही थी, उस दौरान ऐसी कई चीजें हुई तो एक सोची समझी प्लानिंग को दर्शाती है।
पहला ये सुधाकर को भोपाल संग्राम सिंह के नाम से ले जाया गया। सुधाकर का कहना है कि उसे फंसाने के लिए उसके नासिक वाले घर में आरडीएक्स भी रखा गया। गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में लेने के बाद सुधाकर के खिलाफ कई फर्जी सबूत बनाए गए। सुधाकर ने बताया कि उसके खिलाफ फर्जी आर्म्स केस लगाया गया।
हालांकि बाद में जांच जब राष्ट्रीय जांच सुरक्षा को सौंपी गई तो एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में एनआईए ने बताया था कि सुधाकर के घर में आरडीएक्स एक प्लानिंग के तहत रखा गया था। हालांकि, एनआईए ने यह चार्जशीट में नहीं बताया कि प्राइवेट जेट का फंड कहां से मुहैया हुआ और गैर-कानूनी पिस्टल-आरडीएक्स कहा से आया?
स्त्रोत : अमर उजाला