पालोंगखाली – नवभारत टाइम्स में आए वार्ता के अनुसार, बांग्लादेश ने वहां रह रहे शरणार्थी रोहिंग्याओं के लिए नसबंदी कराने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि रोहिंग्याओं की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के सभी तरीकों में विफल होने के बाद यह योजना बनाई है। बीते महीने बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के कैंप में कॉन्डम भी बांटे थे, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं दिखा। बता दें कि म्यांमार में हिंसा के बाद करीब 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं।
म्यांमार से आए इन शरणार्थियों को भोजन और साफ पानी जैसी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है। कुछ अधिकारियों को डर है कि ऐसी स्थिति में यदि इनकी संख्या पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है। जिस जगह रोहिंग्याओं के कैंप लगे हैं, उस जिले में फैमिली प्लानिंग सर्विस के प्रमुख पिंटू कांती भट्टाचार्जी का कहना है कि रोहिंग्याओं के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता की कमी है।
जिला परिवार नियोजन अधिकारियों ने गर्भनिरोधक बांटने के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन उनके बीच अब तक सिर्फ 550 कॉन्डम पैकेट ही बांटे जा सके हैं, जबकि ज्यादातर लोग इसके इस्तेमाल को लेकर अनिच्छुक हैं। भट्टाचार्जी ने बताया कि इसलिए उन्होंने सरकार से रोहिंग्या पुरषों और महिलाओं नसबंदी का अभियान चलाने की इजाजत मांगी है, लेकिन इसे लेकर भी संघर्ष करना पड़ सकता है।
इस समाचार से कुछ सूत्र ध्यान में अाते है…
१. बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी मुस्लिमों की नसबंदी कर शायद भविष्य का खतरा पहचान लिया है । किंतु आज भारत में भी ४० हजार रोहिंग्या शरण लिए हुए है । भारत में उनकी संख्या भी तेजी से बढ रही है । यदि एेसा ही शुरु रहा तो ४० हजार होनेवाले कल ४ लाख होने में देर नहीं लगेगी। इसलिए अब भारत सरकार ने भी उनकी नसबन्दी कर उनकी जनसंख्या बढने से रोकना चाहिए, एेसी जनता की अपेक्षा है ।
२. वैसे तो हम सभी अब जानते ही है कि, रोहिंग्या देश के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते है । तो अब सरकार ने किसी के भी दबाव में न आते हुए रोहिंग्याआें को देश से बाहर निकालने के लिए शीघ्र ही प्रयास करने चाहिए।