लखनऊ – विश्व हिंदु परिषद के गौ रक्षा विभाग की ओर से राजधानी में आयोजित गौ रक्षा अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाना है तो गाय और गंगा को बचाना होगा। रविवार को आयोजित इस अधिवेशन में गोसेवा और गोरक्षा से जुड़े संगठनों के देशभर के करीब १२०० प्रतिनिधि हिस्सा लेने राजधानी पहुंचे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने हर जिले में एक हजार गौ सेवकों को तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने कहा कि हमे गाय के सरक्षण के लिए काम करना होगा। यदि हर जिले में एक हजार गौ रक्षक तैयार होते हैं, तो पूरे प्रदेश में ७५००० गौ रक्षक होंगे।
इस दौरान गौरक्षा को लेकर देश भर में उठे विवादों को लेकर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने गौरक्षा को जैविक खेती से जोड़कर सकारात्मक पद्धति से काम करने पर बल दिया।
इस पूरे अधिवेशन को गौरक्षा को लेकर उठे विवादों के बाद संघ परिवार द्वारा इस एजेंडे को और धार देने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
विहिप के विभाग मंत्री देवेंद्र मिश्र ने इस आयोजन कि विषय पर बता करते हुए कहा कि गोवंश की रक्षा संघ परिवार का बहुत पुराना एजेंडा रहा है।
प्रदेश में 1991 में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर इसी एजेंडे पर काम करते हुए उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग का गठन किया गया था।
इस बार भी प्रदेश में सरकार बनने पर सबसे पहले गोसेवा आयोग में ही अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है। भाजपा ने चुनावी एजेंडे में भी इस विषय को प्रमुखता से स्थान दिया था।
दुधारू पशुओं के वध पर पूर्ण प्रतिबंध और स्लॉटर हाउस बंद करने की घोषणा के पीछे भी मुख्य उद्देश्य गोवंश की रक्षा ही थी। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ राजधानी में सबसे पहले कहीं गए थे तो वह कान्हा उपवन स्थित गोशाला थी।
स्त्रोत : अमर उजाला