मुंबई – प्राचीन काल में हिन्दू परिवार की महिलाएं समाज के सामने नाचगाना नहीं करती थीं, अपितु वो वीरांगनाएं आवश्यकता पडनेपर हाथ में तलवार लेकर मुघलों को नचानेवाली थीं । यह इतिहास होते हुए भी चलचित्र निर्देशक संजय लीला भन्साली ने उसमें तोडमरोडकर रानी पद्मावती को नाचते हुए दिखाया है । इसके पहले भी उन्होंने चलचित्र बाजीराव मस्तानी में पेशवा बाजीराव की पत्नी काशीबाई को नाचते हुए दिखाया था । यह हिन्दू वीरांगनाआें का अपमान है, जिसे हिन्दू समाज कभी भी सहन नहीं करेगा । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह चेतावनी दी ।
श्री. रमेश शिंदे ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि,
१. मनगढंत पद्धति से इतिहास को तोडमरोड कर मसाला चलचित्र बनाकर उससे करोडों रुपए अर्जित करनेवाले निर्देशकों को कला एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लागू नहीं होती है ।
२. घुमर नामक नृत्यप्रकार राजस्थानी संस्कृति में स्थित एक नृत्यप्रकार है तथा उस को प्रस्तुत करनेवाला भी एक विशिष्ट समाज है । इतिहास के आधारपर चलचित्र बनानेवाले भन्साली को क्या इसकी जानकारी नहीं थी कि, कोई भी राजकन्याएं अथवा रानियां यह नृत्य नहीं करती थीं ।
३. आजकल बॉलिवूड में नाचने के लिए अन्य आईटेम गर्ल लाई जाती हैं । भन्साली को यदि घुमर ही दिखाना था, तो वे अन्य किसी भी कलाकार को नाचते हुए दिखा सकते थे । वहांपर रानी पद्मावती को नाचते हुए दिखाने का क्या प्रयोजन है ?
४. जिस रानी ने स्वयं की शील की रक्षा हेतु जोहार (जीवित अवस्था में अग्निप्रवेश करना) किया, ऐसी सत्शील रानी को नाचते हुए दिखाना, रानी पद्मावती का घोर अपमान है । इसके कारण भन्साली को हिन्दू समाज से खुलेरूप से क्षमा मांगनी चाहिए तथा जिस गीतपर रानी पद्मावती को नाचते हुए दिखाया गया है, उस काल्पनिक गीत को चलचित्र से हटा देना चाहिए ।
५. संजय लीला भन्साली के मन में महिला एवं माता के प्रति आदर है; इसलिए वे अपने पिता के नाम के स्थानपर अपनी माता का नाम लगाते हैं, तो रानी पद्मावती की ओर माता के रूप में देखनेवाले हिन्दू समाज की आदरयुक्त भावनाएं उनकी समझ में न आएं, यह दुर्भाग्यजनक है ।
विवाद उत्पन्न कर अपनी जेब भरना, यह अब इन निर्माताआें का धंदा बन गया है, यही इससे सिद्ध होता है ।