आखिर कब हिन्दू युवतीयों को धर्मांधों का असली चेहरा समझ में आएगा ?
लव जिहाद के चंगुल से बचने के लिए हिन्दू युवतीयों धर्मशिक्षा लेकर स्वयं में धर्म के प्रति स्वाभिमान उत्पन्न करे तथा लव-जिहाद के विषय में समाज में जागृती करें । हिन्दू जनजागृति समितीद्वारा लव-जिहाद के विषय में जानकारी उपलब्ध है । इसे अवश्य पढें एवं अपने मित्र-परिवार को भी शेअर करें : www.hindujagruti.org
चाईबासा/झारखंड : १२ वीं की छात्रा अंजली प्रसाद की आत्महत्या का मामला सामान्य आत्महत्या का नहीं है । अंजली के पिता का कहना है कि, अंजली को फरहान अहमद नाम के युवक ने अपने जाल में फंसा लिया था । वो अंजली का धर्म परिवर्तन कराना चाहता था । सूत्रों के अनुसार, अंजली उसके जाल में इतनी फंस चुकी थी कि, वो आधी आधी रात को उठकर फरहान के घर पहुंती थी । फरहान के भाई ने भी इसकी पुष्टि की है कि, अंजली रात २ बजे घर आ गई थी । वो कह रही थी कि, मुझे फरहान से जरूरी बात करना है । शनिवार को फरहान अहमद के विरोध में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है ।
किरीबुरू के न्यू कैम्प में रहनेवाली अंजली ने ६ नवंबर को फंदे से लटककर अपनी जान दे दी थी । अंजली प्रसाद किरीबुरू प्रोजेक्ट सेंट्रल विद्यालय में १२वीं की छात्रा थी । उसके पिता रोजाना उसे विद्यालय छोड़ने जाते थे परंतु विद्यालय के अटेंडेंस रजिस्टर के अनुसार, वो नवंबर में विद्यालय में उपस्थित ही नहीं हुई है । यह इस बात का संकेत है कि शायद अंजली किसी दवाब में थी ।
अंजली के पिता यतींद्र नाथ प्रसाद ने दर्ज एफआईआर में बताया कि, उनकी बेटी को किरीबुरू के ही रहने वाले फरहान अहमद ने अपने प्रेम जाल में फंसाया था । वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने और धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहा था । धर्म परिवर्तन नहीं करने पर अंजली के साथ फरहान मारपीट करने लगा । कई तरह की यातनाएं दी । इसकी जानकारी उन्हें उनके पड़ोसियों से मिली है । लोक लाज के डर से बेटी ने परिवार से यह बात छुपाई ।
क्या एेसी घटनाआें के लिए बच्चों के साथ अभिभावक भी जिम्मेदार है ?
आज आए दिन हम लव जिहाद आैर उसमें फंसी युवतीयों के दर्दनाक समाचार पढ रहे है । परंतु फिर भी एेसी घटनाआें से सतर्क होकर लव जिहाद से दुर होने के बजाय युवतीयां उसमें ज्यादा ही फंस रही है । अंजली प्रसाद के मामले में लडकी रात को घर से निकल रही है एेसे समय घरवालों को सतर्क रहकर उसे रोकने के प्रयास करना अपेक्षित थे । परंतु एेसा नही हुआ । स्वतंत्रता के नाम पर हम अपने बच्चों को अनावश्यक स्वांतत्र देते है जिसके कारण बच्चे बुरी आदतों का शिकार बनते है ।
बच्चों के लिए क्या अच्छा आैर क्या बुरा है इसकी समझ बच्चों से अधिक अभिभावकों को होती है । इसलिए हमारी यह जिम्मेदारी है कि, हम अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार एवं उन्हे धर्मशिक्षा दे । जिससे आगे जाकर हमे ही पछताना न पडे ।
बच्चों पर संस्कार करने के लिए बालक, अभिभावक तथा शिक्षकों के लिए मार्गदर्शक वेबसार्इट को अवश्य भेंट दें : www.Balsanskar.com