कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
आगरा – ताजमहल के साए तले महताब बाग को मुगलिया रूप में लाने के लिए एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) ने जिस एनजीओ वर्ल्ड मान्यूमेंट फंड से करार किया है, उसने देश की सीमाओं से ही खिलवाड़ कर दिया।
एनजीओ अपनी वेबसाइट में ताज के ग्रांड डिजायन महताब बाग को संवारने का दावा कर चंदा मांग रहा है, जबकि अपनी वार्षिक रिपोर्ट में दिखाए गए भारत के नक्शे से कश्मीर को पाकिस्तान में और लद्दाख-अक्साई चिन को चीन की सीमा में दिखाया गया है।
करोड़ों रुपये की लागत से रिवर फ्रंट गार्डन महताब बाग और एत्माद्दौला को मुगलिया रूप में लाने के लिए वर्ल्ड मान्यूमेंट फंड और एएसआई ने 2013 में करार किया है। दोनों बागीचों के साइंटिफिक क्लीयरेंस पर एक्सपर्ट को जुटाने का काम मान्यूमेंट फंड करेगा, जबकि जमीनी काम एएसआई के जिम्मे है, लेकिन एनजीओ ने वेबसाइट के जरिए ताजमहल के नाम पर दुनिया भर से डोनेशन मांगना भी शुरू कर दिया है।
इसके बाद वर्ल्ड मान्यूमेंट फंड ने 2013 की वार्षिक रिपोर्ट में दोनों प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए भारत में अपने जिन कार्यों को दिखाते हुए नक्शा पेश किया है, उसमें देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए पाकिस्तान और चीन समर्थित नक्शे को दिखाया गया है।
एएसआई के आला अधिकारी इस मामले की संजीदगी भांपते हुए आधिकारिक बयान देने से कतरा रहे हैं। हालांकि उन्होंने माना कि मान्यूमेंट फंड ने देश की सीमाएं गलत दिखाकर खिलवाड़ किया है। इस पर कार्रवाई भी तुरंत की जानी चाहिए।
ताज के नाम पर चंदा मांगने पर कार्रवाई की मांग
वर्ल्ड मान्यूमेंट फंड द्वारा वेबसाइट पर ताज के बागीचे को संवारने के नाम पर चंदा इकट्ठा करने के खिलाफ पर्यटन उद्योग में आक्रोश है। फेडरेशन आफ ट्रेवल एसोसिएशन अध्यक्ष राजीव तिवारी, एप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष शमशुद्दीन, होटल एंड रेस्टोरेंट एसो. अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि ताजमहल को आगे रखकर चंदा मांगने से भारत की छवि भिखारी देश की तरह प्रस्तुत की जा रही है। भारत सरकार करोड़ों रुपया ताज के संरक्षण पर खर्च कर रही है। बजट की कोई कमी नहीं है। ऐसे में एनजीओ डब्ल्यूएमएफ द्वारा भारतीय नक्शे से खिलवाड़ और डोनेशन मांगने पर एएसआई से उसका करार रद्ïद किया जाना चाहिए।
स्त्रोत : अमर उजाला