पौष पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदू धर्म सभा की धर्मंधोंके समाज से सद्भावना अपील
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इंदौर – धर्म सभा में मुसलमानों से विनम्र अपील की गई है कि वे वसंत पंचमी पर अपनी नमाज़ माँ सरस्वती मंदिर भोजशाला में न अताकर, किसी अन्य स्थान पर अताकर सामाजिक सद्भावना की मिसाल कायम करें। पंद्रह फरवरी शुक्रवार को वसंत पंचमी को भोजशाला में पूरे दिन पूजा ही हो, इस हेतु राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हजारों हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौपा गया। माँ सरस्वती का प्राकट्य स्थल भोजशाला संपूर्ण भारत वर्ष के लिए स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक है। हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रेरणास्त्रोत, आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। माँ सरस्वती का अवतरण दिवस वसंत पंचमी पर्व ९७८ वर्षो से परंपरागत रूप से मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ज्ञापन में मांग की गई है कि भोजशाला धार में वर्ष में केवल एक दिन वसंत पंचमी पर मिले पूजा के मौलिक और संवैधानिक अधिकार का सम्मान करते हुए १५ फरवरी को वसंत पंचमी पर पूजा ही करवाएं, नमाज किसी अन्य स्थान पर करवाएं। सरकार ग्वालियर में कैद माँ वाग्देवी की प्रतिमा को मुक्त करे। समस्त धारा नगरवासी शांति और सामाजिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध हैं, हिंदू समाज सहिष्णु और उदार है, जो अपने समस्त देशवासियों से प्रेम करता है, वो कभी नहीं चाहता कि देश समाज जाति और धर्म में कहीं भी अशांति फैले, वह तो केवल सत्य और न्याय की अपेक्षा कर रहा है।
राज्य सरकार एवं प्रदेश के समस्त धार्मिक और सामाजिक संगठन एवं राजनीतिक प्रतिनिधि धर्मंधोंके समाज से आग्रह करें कि वो हिंदू समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए वसंत पंचमी पर अपनी नमाज़ किसी अन्य स्थान पर अताकर सामाजिक सद्भावना की मिसाल कायम करे, क्योंकि क़ुरान के अनुसार ख़ुदा कि इबादत या नमाज़ के लिए किसी विशेष स्थान या स्मारक का कोई महत्व नहीं है। धर्मंधों ने अपने पवित्र तीर्थ स्थल मक्का और मदीना में पैगंबर साहब की स्थापित की हुई, ऐतिहासिक और प्राचीन मस्जिदों को सड़क और पार्किंग के लिए तोड़ा भी है और हटा दिया है। अल जजीरा वेबसाइट देखें-http://www.aljazeera.com/archive/2005/07/2008410115548684950.html मक्का मदीना की ९५% मस्जिदें और ऐतिहासिक स्थल जनसुविधाओं के लिए तोड़ दिए गए हैं। इस्लामिक देशो में अनेक मस्जिदें, होटल पब और मॉल बनाने के लिए हटा दी गई हैं।
क़ुरान (सुरा ९ तोबा मिसिरा १०७ से ११०) के अनुसार जहां बुत परस्ती (मंदिर में पूजा) होती हो वहां नमाज़ कबूल नहीं होती। पैगंबर साहब ने ऐसी मस्जिदों या स्थानों के बारे में क़ुरान में लिखा है-जिसे अवैध कब्ज़ा कर बनाया हो या वो स्थान किसी अन्य धर्म के मानने वालों का हो, ऐसी मस्जिदों को मस्जिद ऐ जिरार कहा गया है। वहां नमाज़ पढ़ना इस्लाम के लिए अमान्य है और उन्होंने ऐसे स्थानों से किसी भी प्रकार का संबंध न रखने का निर्देश दिया है। इस्लामिक इतिहास के अनुसार, उमवी खलीफा वालिद बिन अब्दुल मलिक ने इसाई राज्य पर अधिकार किया, उनके सैनिकों ने गिरजाघर में नमाज़ पढ़ना आरंभ की, कुछ समय बाद उनके खलीफा हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज (रह०) को जब यह पता लगा तो उन्होंने तुरंत गिरिजा घर इसाई समाज को सौंप दिया। क्योंकि इस्लाम के अनुसार ऐसी मस्जिदें मस्जिद ऐ जिरार हैं, जिनमे नमाज़ पढ़ना नाजायज़ है और जो ख़ुदा को कबूल नहीं है।
ज्ञापन में राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि वह भय और लालच के आधार पर थोथी सामाजिक सद्भावना कायम न करते हुए सरकार और अपनी पार्टी के हिंदू समाज को दिए वचनों पर कायम रह कर माँ सरस्वती मंदिर भोजशाला के सम्मान की रक्षा करे। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के नकारात्मक प्रयासों से अभी से धार में आतंक और भय का वातावरण बन रहा है। शासन परस्पर संवाद कायम कर, समय से पूर्व अपनी नीतियों की घोषणा करे, जिससे कि असामाजिक तत्वों और अलगाववादियों को अफवाह और ग़लतफहमी पैदा करने का कोई भी अवसर न मिले, जिससे धारा नगरवासी भय मुक्त होकर अपना जीवन चला सकें। यहां का हिंदू समाज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर आशाभरी दृष्टी से देख रहा है।
स्त्रोत – स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम