अंतर-धार्मिक विवाहों पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सचेत किया है । उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने एक अंतर-धार्मिक विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि, सरकार फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट बनाए जिसे मध्य प्रदेश और हिमाचल की सरकारें पहले ही बना बना चुकी हैं ।
हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा कि, हमारा काम सरकार को सुझाव देना नहीं है परंतु समाज के हित में यह आवश्यक है । न्यायालय ने कहा है कि, केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्न का ढोंग रचने की प्रवृत्ति ठीक नहीं, इसमें समाज का हित नहीं है ।
न्यायालय ने सोमवार को रुद्रपुर के एक अंतर धार्मिक विवाह मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की । रुद्रपुर जिला ऊधमसिंह नगर निवासी गिरीश कुमार शर्मा ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि, उसकी पुत्री को हुसैन अंसारी उर्फ अतुल शर्मा ने विवाह के बहाने छिपा रखा है ।
उसकी पुत्री को न्यायालय में हाजिर किया जाए । याचिका पर न्यायालय के आदेश के बाद युवती को न्यायालय में पेश किया गया । पूर्व में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया था कि, वह (गिरीश शर्मा की पुत्री) दबाव में है । इसके बाद न्यायालय ने युवती को १४ नवंबर को रुद्रपुर छात्रावास भेज दिया था ।
स्त्रोत : न्युज १८