नाकिरेकल (नाल्लागोंडा, तेलंगना) में हिन्दू रक्षा दल की ओर से हिन्दू सम्मेलन का आयोजन
हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग
नाल्लागोंडा (तेलंगना) : आज हिन्दू धर्म पर विविध आघात हो रहे हैं। इसके अंतर्गत बडी मात्रा में गोहत्याएं, लव जिहाद, धर्मपरिवर्तन, हिन्दुओं की देवताएं एवं राष्ट्रीय अस्मिता का अनादर हो रहा है। देश के द्वारा अपनाई गई धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था ही इन सभी समस्याओं का मूल कारण है !
इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु देश में पुनः धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना यही एकमात्र विकल्प है। हिन्दू जनजागृति समिति के तेलंगना राज्य समन्वयक श्री. चेतन जनार्दन गाडी ने ऐसा प्रतिपादित किया। हाल ही में हिन्दू रक्षा दल की ओर से नाकिरेकल (जिले नाल्लागोंडा, तेलंगना) में आयोजित हिन्दू सम्मेलन को संबोधित करते हुए वे बोल रहे थे। इस सम्मेलन को संबोधित करने हेतु हिन्दू जनजागृति समिति को निमंत्रित किया गया था। इस सम्मेलन में परिसर के ५ गांवों से २५० से भी अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे।
क्षणचित्र
१. हिन्दू जनजागृति समिति के केवल २ कार्यकर्ता एवं २ धर्मप्रेमियों ने इस सम्मेलन का प्रसार किया था, अपितु धर्मप्रेमियोंद्वारा इस सभा का उत्स्फूर्त प्रतिसाद प्राप्त हुआ।
३. गांव के धर्मप्रेमी युवक वहां के प्रमुख मार्ग से वाहनफेरी निकालकर सभा में आए। इस समय उनकेद्वारा दी गई स्वयंस्फूर्त घोषणाओं के कारण गांव का वातावरण हिन्दूमय हो गया था।
३. स्थानीय धर्मप्रेमी फलक प्रदर्शनी लगाना, बैठने की व्यवस्था, रंगोली निकालना, व्यासपीठ की सिद्धता करना, साथ ही सभा के पश्चात सामग्री समेटना आदि सेवाओं में स्वयंस्फूर्ति से सम्मिलित हुए थे।
४. कार्यक्रम स्थल पर हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से राष्ट्र एवं धर्म के संदर्भ में फलक प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसमें धर्मशिक्षा, हिन्दू राष्ट्र, गोहत्या, मंदिर सरकारीकरण, कश्मीर एवं बांग्ला देश के हिन्दुओं के साथ किए जा रहे अत्याचार, क्रांतिकारक आदि विषयों का अंतर्भाव था। धर्मप्रेमियों ने इन फलकों पर अंकित जानकारी को जानकर लेने में अपनी रूचि दिखाई !
५. सभा के पश्चात आयोजित संवाद बैठक में हिन्दू धर्माभिमानियों ने अन्य ३ गांवों में इसी प्रकार की सभाओं के आयोजन का निश्चय किया।
६. संवाद बैठक में एक पाक्षिक धर्मसत्संग का आयोजन किया गया।
७. सभास्थल से ८ कि.मी. दूरी पर रानी रुद्रम्मा की समाधि है। वहां पर रानी रुद्रम्मा ने मुगलों से युद्ध कर अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इस स्थल को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में स्वीकृति प्राप्त कराने हेतु संघटित रूप से प्रयास करने का संकल्प लिया गया।
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात