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तनाव की स्थिति में स्थिर रहने हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता ! – अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर

अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर

आटपाडी (जिला सांगली, महाराष्ट्र) : विधि एवं न्याय के क्षेत्र में काम करते समय अधिवक्ताओं का जीवन सदैव तनावपूर्ण होता है । ऐसी स्थिति में स्थिर रहने हेतु आध्यात्मिक ऊर्जा का होना आवश्यक है और केवल साधना से ही यह ऊर्जा मिलती है । विविध प्रकार के विज्ञापन, चलचित्र, साथ ही अन्य माध्यमोंद्वारा हिन्दू देवताएं, राष्ट्रपुरुष एवं राष्ट्रीय सम्मान के प्रतिकों के हो रहे अनादर को वैधानिक पद्धति से रोकने के कार्य में अधिवक्ताओंद्वारा दिया जानेवाला योगदान ही राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की आपूर्ति सिद्ध होगी ! हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सदस्य अधिवक्ता श्री. नीलेश सांगोलकर ने ऐसा मार्गदर्शन किया ।

१५ नवंबर को बार एसोसिएशन के सदस्यों के लिए ‘तनावमुक्त जीवन हेतु साधना का महत्त्व’, साथ ही ‘राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में अधिवक्ताओं का योगदान’ इन विषयों पर मार्गदर्शन किया गया, उसमें वे बोल रहे थे ।

इस अवसर पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. विलासराव बाळकृष्ण पाटिल, उपाध्यक्ष अधिवक्ता श्री. नीलकंठ निचळ, साथ ही आटपाडी न्यायालय में कार्यरत १५ से भी अधिक अधिवक्ता उपस्थित थे ।

विशेष

१. सांगली जिला अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष श्री. समीर पटवर्धन ने एक बडी न्यायप्रक्रिया में साधना के कारण ही स्थिर रहना कैसे संभव हुआ, इस विषय में सभी को अवगत कराया ।

२. उपस्थितों में से कुछ अधिवक्ताओं ने सनातन संस्था के मिरज आश्रम का अवलोकन करने की सिद्धता दर्शाई ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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