केंद्र सरकार के लिए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा चुनौती बन गया है । मुहिम से जुड़े साधु संतों ने मंगलवार को ऐलान किया कि, उच्चतम न्यायालय से अनुकूल निर्णय नहीं आने के बावजूद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा ।
केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है इसलिए मंदिर बनाने के लिए विधानसभा और संसद में प्रस्ताव पास कराया जाएगा । वहीं शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि, पाकिस्तान व कुछ मुस्लिम संगठन नहीं चाहते कि अयोध्या विवाद का हल हो, क्योंकि इससे उनकी फंडिंग रुक जाएगी ।
प्राचीन सिद्धपीठ श्री कालकाजी मंदिर परिसर में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़े निर्वाणी अखाड़े के महंत स्वामी धर्मदास महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज, शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, श्री कालकाजी पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि, अयोध्या में हर हाल में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए ।
उन्होंने इसके कई तर्क भी दिए । इस मौके पर साधु-संतों ने शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के मंदिर व मस्जिद बनाने के प्रस्ताव का स्वागत किया । उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी ऐसा प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय में देना चाहिए । इस संबंध में वे सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों से बातचीत करके मंदिर निर्माण के लिए सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं ।
हनुमान मूर्ति को एयर लिफ्ट करने पर एतराज
झंडेवालान स्थित हनुमान मूर्ति को एयर लिफ्ट कर दूसरी जगह स्थापित करने के न्यायालयीन आदेश की मंशा पर भी संतों ने आपत्ति जताई । उन्होंने कहा कि, हम न्यायालय का सम्मान करते हैं परंतु इस प्रकार हिंदुओं के हर मामले में हस्तक्षेप करना कतई ही उचित नहीं है और हम इससे स्वीकार नहीं करते ।
स्त्रोत : अमर उजाला