केरल उच्च न्यायालय ने हिन्दुआें की धर्मभावनाआें का आदर रखना चाहिए, एेसी हिन्दुआें की अपेक्षा है ! – सम्पादक, हिन्दूजागृति
नई देहली – केंद्र को शुक्रवार को उस वक्त एक बड़ा झटका लगा जब केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने इस हफ्ते की शुरुआत में उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले को बरकरार रखा।उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने गोवा में चल रहे ४८वें ‘इफ्फी’ में मलयालम फिल्म ‘एस दुर्गा’ की स्क्रीनिंग का आदेश दिया था। फिल्म के कलाकारों ने जूरी से विनती की थी कि वह जल्द से जल्द सारी औपचारिकताओं को पूरा करें। केंद्र ने गुरुवार को एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की थी, जिसने गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (इफ्फी) में फिल्म की स्क्रीनिंग के आदेश दिए थे।
एकल पीठ के आदेश का विरोध करते हुए केंद्र के वकील ने कहा कि इस फिल्म की स्क्रीनिंग कराने से महोत्सव की समय-सारणी के लिए समस्या पैदा होगी लेकिन खंडपीठ ने एकलपीठ के निर्णय को बरकरार रखा और याचिका को केस फाइल के रूप में स्वीकार कर लिया। जूरी की मंजूरी के बावजूद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सनल कुमार शशिधरन की मलयालम फिल्म ‘एस दुर्गा’ और रवि जाधव की मराठी फिल्म ‘न्यूड’ की स्क्रीनिंग को इफ्फी के पैनोरमा सेक्शन से हटा दिया था।
केरल उच्च न्यायालय के फिल्म ‘एस दुर्गा’ पर सुनाए गए निर्णय के बाद फिल्म के अभिनेता कन्नन नायर ने गोवा में कहा, “हमने जूरी के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वह कल फिल्म को दोबारा देखने के लिए आएं। आपको यह फिल्म पसंद आएगी। आप लोग हैं जिन्होंने हमारी फिल्म को सर्वसम्मति से चुना है।” नायर ने आईएएनएस से कहा, “मेरे पास सेंसर हुआ डीसीपी (डिजिटल सिनेमा पैकेज) है। मेरे पास ब्लू रे डिस्क है और अगर इफ्फी कहे तो मैं इसे उनके पास जमा कर सकता हूं। लेकिन वह अभी भी जवाब नहीं दे रहे हैं, यहां तक कि वह मेरे साथ बात भी नहीं कर रहे हैं।” नायर ने कहा, “न्याय में देरी निश्चित रूप से अदालत की अवमानना है लेकिन अदालत ने जूरी को फिल्म को फिर से देखने का आदेश दिया है तो हम उसी का इंतजार कर रहे हैं। अगर वह फिर देरी करते हैं तो यह निश्चित रूप से अदालत की अवमानना है।”
स्त्रोत : जनसत्ता