मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्रपर सायंकाल भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव सर्व दत्तक्षेत्रों में मनाया जाता है ।
दत्तजयंती पर दत्ततत्त्व पृथ्वीपर सदा की तुलना में १००० गुना कार्यरत रहता है । इस दिन दत्त की भक्तिभाव से नामजपादि उपासना करनेपर दत्ततत्त्व का अधिकाधिक लाभ मिलने में सहायता होती है ।
जन्मोत्सव मनाना
दत्तजयंती मनाने संबंधी शास्त्रोक्त विशिष्ट विधि नहीं पाई जाती । इस उत्सवसे सात दिन पूर्व गुरुचरित्र का पारायण करने का विधान है । इसीको गुरुचरित्रसप्ताह कहते हैं । भजन, पूजन एवं विशेषतः कीर्तन इत्यादि भक्ति के प्रकार प्रचलित हैं । महाराष्ट्र में उदुंबर (गूलर), नरसोबाकी वाडी, गाणगापुर इत्यादि दत्तक्षेत्रों में इस उत्सव का विशेष महत्त्व है । तमिलनाडु में भी दत्तजयंती की प्रथा है । कुछ ब्राह्मण परिवारों में इस उत्सव के निमित्त दत्तनवरात्रि का पालन किया जाता है एवं उसका प्रारंभ मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी से होता है ।
दत्तयाग
इसमें पवमान पंचसूक्त के पुरश्चरण (जप) एवं उसके दशांश से अथवा तृतीयांश से घृत (घी) एवं तिलसे हवन करते हैं । कुछ स्थानोंपर पंचसूक्त के स्थानपर दत्तगायत्री का जप एवं हवन करते हैं । दत्तयाग के लिए किए जानेवाले जपकी संख्या निश्चित नहीं है । स्थानीय पुरोहितों के परामर्श अनुसार जप एवं हवन किया जाता है ।
भगवान दत्तात्रेय की उपासना के अंतर्गत कुछ नित्य के कृत्यों के विषय में ईश्वर से प्राप्त ज्ञान
प्रत्येक देवता का विशिष्ठ उपासनाशास्त्र है । इसका अर्थ है कि, प्रत्येक देवता की उपासना के अंतर्गत प्रत्येक कृत्य विशिष्ट प्रकार से करनेका शास्त्राधार है । ऐसे कृत्य के कारण ही उस देवता के तत्त्व का अधिकाधिक लाभ होने में सहायता होती है । दत्त उपासना के अंतर्गत नित्यके कुछ कृत्य निश्चितरूप से किस प्रकार करने चाहिए, इस संदर्भ में सनातन के साधकों को ईश्वर से प्राप्त ज्ञान यहां प्रस्तुत सारणी में दिया है । ये और ऐसे विविध कृत्योंका शास्त्राधार सनातन-निर्मित ग्रंथमाला ‘धर्मशास्त्र ऐसे क्यों कहता है ?’ में दिया है ।
उपासनाका कृत्य | कृत्यविषयक ईश्वरद्वारा प्राप्त ज्ञान |
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१. दत्तपूजनसे पूर्व उपासक स्वयंको कौनसा तिलक कैसे लगाए ? | श्रीविष्णुसमान खडी दो रेखाओंका तिलक लगाए । |
२. दत्तको चंदन किस उंगलीसे लगाएं ? | अनामिकासे |
३. पुष्प चढाना
अ. कौनसे पुष्प चढाएं ? आ. संख्या कितनी हो ? इ. पुष्प चढानेकी पद्धति क्या हो ? ई. पुष्प कौनसे आकारमें चढाएं ? |
जाही एवं रजनीगंधा सात अथवा सात गुना पुष्पोंका डंठल देवताकी ओर कर चढाएं । चतुष्कोणी आकारमें |
४. उदबत्तीसे आरती उतारना
अ. तारक उपासनाके लिए किस सुगंधकी उदबत्ती ? आ. मारक उपासनाके लिए किस सुगंधकी उदबत्ती ? इ. संख्या कितनी हो ? ई. उतारनेकी पद्धति क्या हो ? |
चंदन, केवडा, चमेली, जाही एवं अंबर हीना दो दाएं हाथकी तर्जनी एवं अंगूठेके बीच पकडकर घडीकी सुइयोंकी दिशामें तीन-बार पूर्ण गोलाकार घुमाकर उतारें । |
५. इतर (इत्र) किस सुगंधकी अर्पण करें ? | खस |
६. दत्तकी न्यूनतम कितनी परिक्रमाएं करें ? | सात |
(संदर्भ – सनातनका ग्रंथ – भगवान दत्तात्रेय : खंड १)
भगवान दत्तात्रेय के संदर्भ में अधिक जानकारी हेतु देखें : https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism/hindu-gods/dattatreya