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ग्लोबल सोसाइटी इंडिया, फेथ फाउंडेशन द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति के सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगलेजी के मार्गदर्शन आयोजन !

नई देहली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में ग्लोबल सोसाइटी इंडिया, फेथ फाउंडेशन द्वारा २६ नवंबर को हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी का संस्था के सदस्यों के लिए “जीवन में साधना का महत्व” इस विषय पर मार्गदर्शन रखा गया ।

इस मार्गदर्शन का आयोजन फेथ फाउंडेशन के कर्नल अशोक किणी जी और श्रीमती मोनिका भट्ट जी द्वारा किया गया । उपस्थितों को साधना, तनाव मुक्त जीवन हेतु नामजप और स्वभावदोष निर्मूलन – इस विषय पर संबोधित किया  गया । मन कैसे कार्य करता है, साधना करने से मन के संस्कारों को न्यून कर आनंदप्राप्ति कर सकते हैं, इस विषय में भी बताया गया । सनातन संस्था द्वारा किया जा रहा अध्यात्मिक शोधकार्य जानकार उपस्थितो के मन में हिन्दू धर्म के प्रति श्रद्धा निर्माण होने में सहायता हुई । हिन्दू धर्म की महानता वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा भी सिद्ध हो रही है यह जानकर उपस्थितों को बहुत आनंद हुआ । अंत में शंका समाधान का भी सत्र हुआ जिसमे सभी ने अत्स्फूर्तता से अपनी शंकाओं का समाधान किया । इतना ही नहीं, कार्यक्रम के उपरांत भी सभी व्यक्तिगत रूप से आकर सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी से मिले तथा अपनी शंकाएं पूछी ।

कार्यक्रम में “The Monk who became Chief Minister” इस अंग्रेजी पुस्तक के  लेखक तथा ग्लोबल सोसाइटी इंडिया के सदस्य श्री. शांतनु गुप्ता जी उपस्थित थे । सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी द्वारा उनका सम्मान किया गया । श्री. शांतनु गुप्ता जी ने संक्षिप्त में अपनी पुस्तक की विशेषता बताई ।

श्रीमती मोनिका भट्ट जी को यह कार्यक्रम करने की प्रेरणा देहली में हुई हिन्दू राष्ट्र संघठक कार्यशाला में सहभागी होने के उपरांत मिली ।

क्षणचित्र

१. सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी का सम्मान भगवत् गीता और शाल देकर किया गया ।

२. संविधान दिवस के अवसर पर देहली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में सनातन के चैतन्यमई ग्रंथों का प्रदर्शन लगाया गया जिसका लाभ अनेक जिज्ञासुओं ने लिया । ( सनातन के चैतन्यमई ग्रंथ आप Online भी खरीदने हेतु भेंट दें : SanatanShop.com )

३. आने वाले सभी सदस्यों को  तिलक लगाया गया ।

४. कार्यक्रम के अंत में कर्नल अशोक किणी जी ने सनातन के आश्रमों में किस प्रकार साधक फलक पर अपनी चुकें और उपाय योजना लिखकर स्वभावदोष और अहम् निर्मूलन प्रकिया कर रहे हैं और इससे कितना लाभ होता है इसके बारे में सभी का प्रबोधन किया ।

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