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सरकार भोजशाला विवाद हल कराए ! – गोविंदाचार्य

पौष पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११४


धार, मध्य प्रदेश – राष्ट्रवादी चिंतक गोविंदाचार्य एवं हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ चारुदत्त पिंगले आज जेल पहुंच कर २००६ से जेल में कैद भोजशाला आंदोलन से जुड़े चदवाद के कार्यकर्ताओं से मिले और भोजशाला में माँ वाग्देवी के दर्शन कर पत्रकारों से कहा कि सरकार ध्यान देकर हिंदुओं को उनका मौलिक अधिकार प्रदान करे। डॉ पिंगले ने कहा कि पूरे देश के लोग भोजशाला आकर अपनी भावनाएं माँ को समर्पित करते हैं, इतिहास में भोजशाला मंदिर के रूप में दर्ज है, मुख्यमंत्री भी इस बात को २००३ में यहां आकर स्वीकार कर चुके हैं, केवल वसंत पंचमी पर समस्त हिंदुओं को पूरे दिन पूजा का अधिकार प्राप्त है, सरकार ने माँ वाग्देवी की प्रतिमा को कैद कर रखा है, जबकि यहां हिंदुओं की आस्था है कि यहां भगवान का अंश हैं।

इंदौर में कल धर्म सभा को संबोधित कर आज धार आए राष्ट्रवादी चिंतक गोविंदाचार्य ने कहा कि सरकार को टालमटोल शुतुरमुर्गीय नीति का आश्रय नहीं लेना चाहिए, इसको वोट की राजनीति का विषय नहीं बनाना चाहिए, अंग्रेजों के ज़माने से फूट डालो-राज करो की नीति चली आ रही है, जो आज सभी दल अपना रहे हैं, वही काम विपक्षी भी कर रहे हैं, इस तरह की राजनीति से समाज भुगतता है और अल्पसंख्यक बंटोरो राजनीति से मुसलमानों को कोई फायदा नहीं होता, उनको इंसान न समझकर वोट समझा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जाति पंथ संप्रदाय से भारत की एकात्मकता को चोट लगती है, राज्य शासन सांप्रदायिक सद्भाव को न बिगड़ने देते हुए दोनों काम करवा सकता है, यह असंभव नहीं है, केवल अतिवादी जिद्दी तत्वों के आगे सरकार न झुके, वह संविधान की भावना का सम्मान करे, इस मुद्दे पर कोई भी सियासत नहीं की जानी चाहिए।

गोविंदाचार्य ने कहा कि यहां आकर लगा कि पुरातत्व विभाग के इंतजाम में कमी है, मै चाहता हूं कि भोजशाला में नमाज़ न होकर उसकी जगह कहीं अन्य करवाने में बहुत बड़ी मुसीबत नहीं है, सरकार को सबका हित समझ कर इस मामले को हल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वास के अभाव में ही तनाव बढ़ता है, इसलिए दूसरे का पक्ष समझना जरूरी है, इतिहास में तथ्यों की सच्चाई और भावनाओं को ध्यान में लिया जाना जरूरी है, भोपाल जाऊंगा तो शासन से यहां के अनुभव को बाटूंगा, पार्टी कोई भी हो, मै अपनी बात वहां बताऊंगा।

पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन यहां मौलिक अधिकारों का हनन न हो, इस बात का ध्यान रखे, संवाद स्थापित कर यहां की समस्या का रास्ता निकाला जा सकता है, राम जन्मभूमि आंदोलन के समय जब धर्मंधोंके नेताओं से बात की थी तो उनकी ज़िद सामने आई, मैने उस समय कहा कि ढांचा आप ले लें और स्थान हमको दे दें, जैसे इजिप्त में पिरामिड को येक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया, किंतु उन्होंने मना कर दिया, फिर उस ढांचे को ढकने की बात आई तो मना कर दिया, फिर नीचे मंदिर बनाने कीबात आई तो मना कर दिया, धर्मंधोंके समुदाय को समझ संवाद विश्वास के साथ चलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आरिफ मोहम्मद खान मेरे मित्र हैं, वो बोलते हैं कि धर्मंधोंके समाज बदल रहा है, ऐसे नेता जो पुराने तरीके से अपने स्वार्थ से धर्मंधोंके समाज को चलाएंगे तो वो खुद आउट डेट हो जाते हैं आस्था के सवाल पर तर्क और बुद्धि की आवश्यकता नहीं होती, अगर वो ज़िद करते हैं तो यह अतिवादिता हुई, जैसे अपनी आस्था महत्वपूर्ण है, वैसे ही दूसरों की भी आस्था महत्वपूर्ण है। धर्म रिश्ते का जरिया है, एक ही रास्ता जरूरी नहीं है, मेरा भगवान भी तुम्हारा भी भगवान है, उसे शब्द कुछ भी दे दो। सभी रास्ते भगवान को जाते हैं।

राजनाथ सिंह के भाजपा का अध्यक्ष बनने पर उन्होंने कहा चालाकी, तिगड़म और साजिश उस पार्टी की कार्य पद्धति का दृढ़ हिस्सा बन गई है। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा में विश्वास का संकट हो गया है, लालकृष्‍ण आडवानी के अवमूल्यन ने रिक्तता पैदा की है। भाजपा में आज में और कल में क्या फर्क था? इस सवाल पर उन्होंने बोला कि मेरी अंतरआत्मा स्वस्थ है, मैने वहां हर बात को प्रभावी ढंग से उठाया है, वैज्ञानिक शैली से काम करने के अभाव से ही वहां सब समस्या आई है। विरार कमैटी की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं हुई है, सत्ता विचारधारा देश के काम नहीं आएगी। भाजपा में आप भी जाइए, इस पर उन्होंने कहा कि मेरी जरूरत वहां नहीं है, आप विरार कमैटी की रिपोर्ट लागू करें, सब ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनैतिक दल सामाजिक बदलाव का औजार नहीं हैं, वो सत्ता की आपाधापी में गिरोहों की भूमिका निभा रहे हैं, आज विपक्ष और सत्ता दल में कोई भेद नहीं बचा है।

स्त्रोत – स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

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