कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
- हिन्दुओंके समर्थनद्वारा अधिकतम मतोंसे निर्वाचित मोदी सरकार क्या इससे कुछ शिक्षा लेगी ?
- मोदी सरकार भी ऐसी इच्छाशक्ति दिखाए, ऐसी हिन्दुओंकी अपेक्षा है !
- पुनः ‘हिन्दू राष्ट्र’ करनेकी दिशामें नेपालद्वारा अनुकरणीय कदम !
काठमांडू – नेपाल कांग्रेस पक्षकी मध्यवर्ती समितिके कुछ सदस्य एवं नेपालकी संविधान समितिके इस पक्षके सदस्योंने नेपालकी वर्तमान समयकी धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था हटाकर वहां पूर्वकी ‘हिन्दू राष्ट्र्र ‘ पद्धतिको अमलमें लाने हेतु ३१ अक्तूबर २०१४ को सनातन ‘हिन्दू राष्ट्र’ पुनर्जीवन समितिकी स्थापना की है । इस समितिने श्री. खुम बहादुर खडकाके नेतृत्वमें सनातन ‘हिन्दू राष्ट्र’को पुनर्जीवित करनेकी प्रतिज्ञा की है ।
१. नेपाल कांग्रेस पक्षद्वारा अबतक नेपालको धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करनेके लिए वैधानिक सम्मति नहीं दी गई है ।
२. नेपालके भूतपूर्व राजा ग्यानेंद्र सिंहने १८ मई २००६ को पूर्वमें विसर्जित संसदको पुनः कार्यान्वित किया । इसी संसदने राजाशाहीके अधिकार न्यून कर नेपालको धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया । दो वर्षोंके पश्चात नवनियुक्त संविधान समितिने २८ मई २००८ को नेपालको प्रजासत्ताक राष्ट्र घोषित कर राजाशाहीको समाप्त किया; परंतु संसद एवं संविधान समितिके निर्णयपर कानूनन वैधानिकताका प्रश्नचिह्न खडा हो गया है । संविधान तज्ञोंके मतानुसार जो संसद विसर्जित हो गई थी, उसे नई संविधान समिति नियुक्त करने एवं राजाशाही विसर्जित करनेका अधिकार नहीं पहुंचता ।
३. इन सब गतिविधियोंकी पाश्र्वभूमिपर काठमांडूमें श्री. खुम बहादुर खडकाकी अध्यक्षतामें सनातन ‘हिन्दू राष्ट्र’ पुनर्जीवन समिति स्थापित की गई । श्री. लक्ष्मण घीमिरे उपाध्यक्ष एवं श्री. कुमार रेगमी महासचिवके रूपमें कामकाज सम्भालेंगे । इसके अतिरिक्त सर्वश्री तारानाथ राणा भट, पुष्प भूसाल, देवेंद्र कांडेल एवं सुबामा जुहार्चन सदस्य एवं ज्येष्ठ पत्रकार श्री. देवप्रकाश त्रिपाठी प्रवक्ताके रूपमें कार्य करेंगे ।
४. ६ नवम्बर २०१४ को समितिकी राष्ट्रीय स्तरपर एक बैठक आयोजित की गई है । महासचिव श्री. कुमार रेगमीने जानकारी दी है कि इस बैठकमें प्रधानमन्त्री एवं पक्षप्रमुख सुशील कोईराला, पक्ष उपाध्यक्ष रामचन्द्र पौडेल तथा ज्येष्ठ नेता शेर बहादुर देऊबाको प्रमुख अतिथिके रूपमें आमन्त्रित किया गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात