हिन्दू जनजागृति समिति का ‘सुराज्य अभियान’
- गंभीर रोगियों की चिकित्सा के लिए गोवा अथवा कोल्हापुर जाना अनिवार्य
- निवेदन सौंपकर और आंदोलन चलाकर भी शासन चूपचाप
सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र) : जनता को उत्तम स्वास्थ्यसेवा देकर उनके जीवनस्तर को सुधारना, शासन का आद्यकर्तव्य है । शासन जनता से प्रतिवर्ष विविध प्रकार से करोडों रुपए का कर एकत्रित करता है । ऐसा होते हुए भी स्वतंत्रता के ७० वर्ष पश्चात भी सिंधुदुर्ग जिले के सरकारी चिकित्सालयों में वैद्यकीय अधिकारी से लेकर कनिष्ठ कर्मचारियों के सभी पद बडी संख्या में खाली हैं । फलस्वरूप जिले का स्वास्थ्यतंत्र ढहने से साधारण रोग, बडी दुर्घटनाएं, गंभीर रोग, सांसर्गिक रोग जैसे विविध स्तरों के रोगियों को, साथ ही महिलाआें को प्रसव हेतु एक तो निजी चिकित्सालय अथवा कोल्हापुर अथवा गोवा राज्य के चिकित्सालयों का आधार लेना पड रहा है । शासन जिले के सभी सरकारी चिकित्सालय में निहित खाली पदों को १ मास के अंदर भरकर तत्काल स्वास्थ्यसेवा उपलब्ध करे, अन्यथा उपरोक्त न्यायपूर्ण मांगों के लिए तीव्र आंदोलन चलाना पडेगा । हिन्दू जनजागृति समिति ने अपने सुराज्य अभियान के अंतर्गत निवेदन के माध्यम से जिला प्रशासन को यह चेतावनी दी है ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद की अधिवक्ता (श्रीमती) कावेरी राणे द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार इन खाली पदों के कारण जिले का स्वास्थ्यतंत्र ढीला पड जाने का स्पष्ट हुआ । इस पृष्ठभूमिपर समिति की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्यमंत्री को स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की मांग का निवेदन सौंपा गया । उपजिलाधिकारी विजय जोशी ने इस निवेदन का स्वीकार किया ।
जिले के स्वास्थ्य विभाग के लिए कुल ८२५ विविध पदों के लिए सहमति मिल गई है और उनमें से २८९ पद खाली हैं । जिले में स्थित विविध चिकित्सालयों में अतिरिक्त जिला शल्यचिकित्सक, निवासी वैद्यकीय अधिकारी, बालरोग विशेषज्ञ, महिला रोग एवं प्रसव विशेषज्ञ, मनोविकृती वैज्ञानिक एवं वैद्यकीय अधिकारी वर्ग-१ इन पदों के लिए सहमति प्राप्त १८ पदों में से १३ पद खाली हैं । वैद्यकीय अधीक्षक के सहमति मिले १० पदों में से ५ पद खाली हैं तथा वैद्यकीय अधिकारी वर्ग- २ के सहमति प्राप्त ३१ पदों में से १० पद खाली हैं । (जिन चिकित्सालयों में इतने पद खाली होते हुए भी ये चिकित्सालय हैं अथवा रोगियों को लाकर रखने के गोदाम हैं ?- संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
जिला चिकित्सालय एवं उपजिला चिकित्सालय में खाली पद
जिला चिकित्सालय, कणकवली, सावंतबाडी एवं शिरोडा इन उपजिला चिकित्सालयोंसहित सभी स्थानोंपर वैद्यकीय अधिकारियों के ९५ में से ४६ पद खाली हैं । विशेषज्ञों द्वारा सहमति प्राप्त १२६ प दों में से ५९ पद खाली हैं । अधिपरिचारिकाआें के २८३ पदों में से ५९ पद खाली हैं । कारकून प्रवर्ग के ६४ पदों में से सहमति प्राप्त २२७ पदों में से ७५ पद खाली हैं । प्रायः आज के दिन कार्यरत वैद्यकीय अधिकारी एवं कर्मचारियोंपर काम का बहुत तनाव आ रहा है और उसके रोगियों की उपेक्षा हो रही है ।
जिले के लोगों के स्वास्थ्य की दयनीय स्थिति !
प्रतिवर्ष जिले में विविध सांसर्गिक रोगों का फैलाव होता है । उसपर नियंत्रण रखना शासन के लिए संभव नहीं होता । उसके कारण कुछ रोगियों की मृत्यु हो जाती है, तो गंभीर रोगियों को गोवा अथवा कोल्हापुर के सरकारी चिकित्सालयों में भरती करना पडता है । जिले में पिछले २ मासों में बुखार के कारण १८ से २० लोगों की मृत्यु होने की जानकारी हाल ही में प्रकाशित हुई है । उपजिला एवं ग्रामीण चिकित्सालयों में बडी संख्या में रोगी चिकित्सा हेतु आते हैं; परंतु उनको चिकित्सा के लिए प्रतीक्षा करनी पडती है । ऐसा होते हुए भी स्वास्थ्य विभाग ने किसी भी प्रकार के ठोस कदम नहीं उठाए हैं, साथ ही कई बार इन सरकारी चिकित्सालयों में पर्याप्त औषधियां भी उपलब्ध नहीं होतीं । इन चिकित्सालयों में समय रहते ही रोगों की जांच करने की व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है । इस पृष्ठभूमिपर जिले में स्थित स्वास्थ्यतंत्र में सुधार हो, इसके लिए जिले के विविध संगठन एवं राजनीतिक दलों ने आंदोलन चलाए हैं; परंतु इसके पश्चात भी कोई ठोस कार्यवाही न होने से जनता में तीव्र असंतोष है ।
२ वर्ष पूर्व जिला चिकित्सालय में निहित समस्याआें को जानकर लेने हेतु राज्य के स्वास्थ्यमंत्री ने सिंधुदुर्ग जिले का अवलोकन किया । उस समय उन्होंने चिकित्सालयों मे खाली पडे पदों को भरकर स्वास्थ्य विभाग को ठीक करने का आश्वासन दिया; परंतु वास्तव में उसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई हैं । हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त डॉ. संजीवकुमार ने सिंधुदर्ग जिले में स्थित सरकारी चिकित्सालयों का अवलोकन किया, तो उनको यह दिखाई पडा कि एक स्थानपर रोगियों को दिए जानेवाला अन्न अच्छे प्रकार से पकाया नहीं गया था । इससे जिले में निहित स्वास्थ्य विभाग की स्थिति ध्यान में आती है, ऐसा इस निवेदन में कहा गया है ।
निवेदन सौंपनेवाले शिष्टमंडल में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गजानन मुंज, श्री. आनंद नाईक, सामाजिक कार्यकर्ता संजय गावडे एवं अंकुश पारकर, श्री. राजन सामंत, श्री. दिलीप आठलेकर, सनातन के श्री. वासुदेव तेंडोलकर एवं श्री. गुरुदास प्रभु का अंतर्भाव था ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात