राजस्थान में पुलिस और पशु तस्करों की मुठभेड में एक पशु तस्कर की मौत हो गर्इ। जनसत्ता वृत्त के अनुसार, घटना अलवर की जनता कॉलोनी की है। यहां ५-७ पशु तस्करों ने पुलिस पर गोलिबारी कर शुरू कर दी। इसपर पुलिस की जवाबी गोलिबारी में एक पुश तस्कर मारा गया। गुरुवार सुबह करीब दो बजे ५-७ गोतस्कर अलवर से गायों को ले जा रहे थे। सूचना के बाद तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम में इसकी जानकारी दी गई और रास्ता ब्लॉक किया गया। किंतु गायों को लेकर आ रहे वाहन से पुलिस पर गोलीबारी की गई।
इसके बाद हुए मुठभेड़ में एक तस्कर मारा गया है जबकि अन्य आरोपी फरार चल रहे हैं। वाहन से पांच गायें घायल अवस्था में मिली हैं, उनका इलाज किया जा रहा है।
इससे पहले अलवर में ही कथित तौर पर कुछ गोरक्षकों ने गाय ले जा रहें मुस्लिम शख्स की हत्या कर दी थी। तब मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, साथ ही कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि तब अलवर के एसपी ने कहा था जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिसमें कहा जाए की हत्या में गोरक्षकों का हाथ है।
यह वार्ता पढकर कुछ सूत्र ध्यान में आते है :
१. इस घटना से पुन: एक बार धर्मांध गोतस्करों द्वारा हो रही हिंसा सामने आर्इ है । किंतु कोर्इ मानवाधिकारवाले या मिडिया इस विषय में चिंता व्यक्त नहीं करते । किंतु यदि गोहत्या का विरोध किया गया तो तुरंत ये लोग ‘गोरक्षकों की हिंसा’ के नाम से बवाल खडा करते है । इसमें यदि कोर्इ अखलाक, पहलू खान या जुनैद हो तो मिडिया के लिए ये ब्रेकिंग न्यूज होती है। देश के कर्इ राज्यों में गोहत्या प्रतिबंधक कानून होते हुए भी इस प्रकार की घटनाए होना यह पुलिस तथा प्रशासन के लिए क्या शर्मनाक नहीं है ?
२. कुछ दिन पहले भी गोतस्करोंद्वारा आक्रमण की दो घटनाएं हुर्इ है । त्रिपुरा में BSF अधिकारी पर २५ गोतस्करों ने हमला,किया था।
वही दुसरी घटना में गोहत्या रोकने की कोशिश कर रही बेंगलुरु की महिला इंजीनियर पर जिहादी भीड ने हमला किया था ।
३. जो लोग गोरक्षकों को गुंडा कहते है, अब वो गोतस्करों द्वारा हो रही इस हिंसा पर उन्हें कुछ भी नहीं कहते ।