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यूनेस्को ने कुंभ मेले को दी सांस्कृतिक धरोहर की मान्यता

नई देहली : यूनेस्को की इंटरगवर्नमेंटल कमिटी फोर द सेफगार्डिंग ऑफ इन्टेंजिबल कल्चरल हेरीटेज ने हिन्दुआें के प्रसिद्ध कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है। यूनेस्को ने दक्षिण कोरिया के शहर जेजू में आयोजित अपने १२वें सत्र के दौरान कुंभ मेले को सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया।

दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाने वाला कुंभ मेला सूची में बोत्सवाना, कोलंबिया, वेनेजुएला, मंगोलिया, मोरक्को, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात की चीजों के साथ शामिल किया गया है।

संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने ट्वीट किया, हमारे लिए बेहद गौरव का क्षण है कि यूनेस्को ने कुंभ मेला को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर जगह दी है। उन्होंने कहा, कुंभ मेला को धरती पर श्रद्धालुओं का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमघट समझाा जाता है जिसमें जाति, पंथ या लिंग से इतर लाखों लोग हिस्सा लेते हैं।

गौरतलब है कि यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में भारत के ३६ स्थल शामिल हैं, इनमें ७ प्राकृतिक, २८ सांस्कृतिक एवं १ मिश्रीत स्थल हैं। भारत ने पहले २०१६ में योग को इनटैन्जिबल हेरिटेज के तौर पर शामिल करवाने के लिए नामित किया था। कुंभ मेले का आयोजन नासिक-त्र्यंबकेश्वर (गोदावरी नदी के किनारे), प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार (गंगा नदी के किनारे) और उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे होता है।

महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक १२ साल में होता है, जबकि प्रयाग और हरिद्वार में प्रत्येक ६ साल बाद अर्द्ध कुंभ का आयोजन होगा। कुंभ मेले में देश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

जानिए कुंभपर्व के उत्पत्तिकी कथा एवं उनका माहात्म्य @ https://www.hindujagruti.org/hindi/hinduism/kumbh-mela

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