गोहत्या प्रतिबंधीत राज्य में भी गोतस्करी के लिए सहायता करनेवाली पुलिस पर सक्त कार्यवार्इ हो, एेसी हिन्दुआें की अपेक्षा ! – सम्पादक, हिन्दुजागृति
अलवर : अलवर में गौ-तस्करों और पुलिस के बीच झड़प की घटनाओं के बाद बनाई गई गोरक्षा चौकियां स्टाफ की कमी और उदासीनता के चलते अर्थहीन हो गई हैं और स्थानीय लोगों का कहना है कि, ये चौकियां वसूली का अड्डा बन गई हैं।
जिले में गोरक्षा को लेकर सामने आईं हिंसा की घटनाओं के बाद पुलिस ने खास गोरक्षा चौकियां और चेकपोस्ट बनाए थे। उनमें से ज्यादातर चौकियाें पर सन्नाटा पसरा रहता है और दरवाजों पर ताले लगे हैं। आरोप हैं कि, इन चौकियाेंपर तस्करों से वसूली कर उन्हें अवैध काम करने दिया जा रहा है।
गौरतलब है, अलवर में गाय की तस्करी के शक में एक युवक की हत्या का मामला भी सामने आया था। पुलिस ने जहां इसे गोतस्करी का मामला बताया था, वहीं दूसरी ओर मृतक के परिवार वालों ने इस आरोप को खारिज किया था।
ना हम गौ-रक्षा करेंगे ना किसी को करने देंगे क्या एेसी नीती पुलिस ने अपनार्इ है ?
गौ-रक्षा के नाम पर हो रही हत्याआें का हम समर्थन नही करते क्योंकी कानुन हाथ में लेना गलत ही है हम प्रत्येक लडार्इ कानून के दायरे में रहकर ही लडेंगे । परंतु चौकियाें के नाम पर अपना जेब भर रही पुलिस क्या गाै-रक्षकों को धोका दे रही है ? अगर पुलिस की एेसी ही नीती रही तो गोरक्षक पुलिस पर कैसे विश्वास रखेंगे ? पुलिस के इस रवैये के कारण अगर गोरक्षक कानून हाथ में लेकर गोतस्करों की हत्या करते है तो उसकी जिम्मेदारी क्या पुलिस लेगी ?
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