पुणे में हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल के माध्यम से जुडे जिज्ञासुओं की कार्यशाला
पुणे : जालस्थल के माध्यम से जुडे धर्मप्रेमियों को ‘हिन्दू राष्ट्र’ एवं अध्यात्म के विषय में उचित दिशा मिलने के उद्देश्य से १७ दिसंबर को यहां के शिवाजीनगर मेें समिति के hindujagruti.org इस जालस्थल को भेंट देनेवाले जिज्ञासुओं के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले ने प्रतिपादित किया कि, प्राचीन काल से गुरु-शिष्य परंपरा ने भारत पर आए संकटों से देश को बचाया है। जिस प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज ने गुरु की आज्ञा के अनुसार हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की, उसी प्रकार हमने भी संतों के मार्गदर्शनानुसार कार्य किया, तो ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना द्रुत गति से होगी ! हरएक हिन्दू ने अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन कर हिन्दू धर्मप्रसार का दायित्व लेना चाहिए। हिन्दू बच्चों को विद्यालयों में धर्मशिक्षा नहीं दी जाती। इसलिए छात्रों को धर्म का ज्ञान नहीं है। धर्माचरण से ‘हिन्दू राष्ट्र’ को सही दिशा मिलेगी। इस अवसर पर २७ जिज्ञासू उपस्थित थे।
धर्म पर श्रद्धा रहनेवाले हिन्दुओं के संघटन की आवश्यकता ! – श्री. प्रवीण नाईक, सनातन संस्था
हम हिन्दुओं की हरएक कृति धर्म से संबंधित है। इसलिए हिन्दुओं को धर्माचरण करना ही चाहिए ! भावना के प्रवाह में न फसंते हुए धर्म पर श्रद्धा रख कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ निर्मिति का कार्य करना आवश्यक है। अतः धर्म पर श्रद्धा रहनेवाले हिन्दुओं का संघटन स्थापित होना चाहिए !
कार्यशाला के अवसर पर डॉ. ज्योति काळे ने सूक्ष्म को जानने की क्षमता विकसित होने के लिए सूक्ष्म प्रयोग आयोजित किए तथा महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संदर्भ में जानकारी दी।
मनोगत
श्री. ओंकार ईनामदार – नासा ने रामसेतू का आस्तित्व होने के संदर्भ में बताने पर हम उस पर विश्वास रखते हैं, परंतु संत अथवा ऋषि-मुनि पर विश्वास नहीं रखते। इस स्थिति में परिवर्तन होना चाहिए !
श्री. विजय साळवे – हिन्दुओं को मंदिरों में धर्मशिक्षा एवं त्यौहार-उत्सव की शास्त्रीय जानकारी मिलनी चाहिए !
श्री. जयदीप पंड्या – हिन्दुओं को कोई संघटन तथा पद सब भूल कर केवल एक ‘हिन्दू’ के रूप में संघटित होना चाहिए !
क्षणिकाएं
१. ‘हिन्दू राष्ट्र’ के इस कार्य में जिज्ञासूओं का उत्स्फूर्त रूप से सहभाग था। सभी ने कहा कि पुणे में होनेवाली हिन्दू धर्मजागृति सभा के प्रसार कार्य में वे सम्मिलित होंगे !
२. श्री. अतुल कोटकर ने यहां के प्रदर्शनी कक्ष पर रखा भेंटपत्र देख कर १००० भेटपत्र की मांग की !
३. इस अवसर पर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संदर्भ में दृक्श्राव्यचक्रिका भी दर्शाई गई !
४. कार्यशाला के लिए श्री. समर्थ फणसळकर कोल्हापुर से आए थे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात